रांचीः झारखंड को अपने गठन के साथ विरासत में नक्सलवाद भी मिला. जिस समय राज्य बना था यानी साल 2000 में, इसके आठ जिले नक्सल प्रभावित थे. लेकिन जल्द ही ये आंकड़ा दुगने से भी अधिक हो गया. नतीजा राज्य में नक्सल वारदातें बढ़ीं और इसका सीधा नुकसान झारखंड पुलिस को उठाना पड़ा. झारखंड राज्य स्थापना के 22 साल में 541 (सेंट्रल और राज्य मिलाकर) से अधिक जवानों और अधिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी. वहीं नक्सलवाद का नुकसान सबसे बड़ी कीमत झारखंड के आम नागरिकों को चुकानी पड़ी है. 22 साल में 1887 आम नागरिक नक्सल हिंसा में अपनी जान गवां चुके हैं.
22 साल में 541 पुलिसकर्मी और 1887 आमलोग हुए नक्सल हिंसा का शिकारः झारखंड गठन के बाद नक्सली वारदात में 541 से ज्यादा पुलिसकर्मी वहीं 1887 आमलोग मारे गए हैं. वहीं झारखंड पुलिस ने साल 2001-22 के बीच 319 नक्सलियों को भी मुठभेड़ में मार गिराया है. भाकपा माओवादियों के हुए बड़े हमलों में पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार, डीएसपी स्तर के अधिकारी डीएसपी प्रमोद कुमार रांची के बुंडू में, पलामू में देवेंद्र राय, चतरा में विनय भारती तक को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया. झारखंड गठन के ठीक एक वर्ष पहले लोहरदगा एसपी रहे अजय कुमार सिंह भी नक्सली हमले में शहीद हो गए थे.
2002 में सबसे ज्यादा 69 पुलिस वाले हुए थे शहीदः झारखंड में साल 2001 में 55 पुलिसकर्मी नक्सलियों के हमले में शहीद हुए थे. वहीं 2002 में 69, 2003 में 20, 2004 में 45, 2005 में 30, 2006 में 45, 2007 में 11, 2008 में 39, 2009 में 64, 2010 में 24, 2011 में 32, 2012 में 26, 2013 में 26, 2014 में 08, 2015 में 04, 2016 में 09, 2017 में 02, 2018 में 09, 2019 में 14, 2020 में 01, 2021 में 05 और साल 2022 के अक्टूबर माह तक 03 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं.
22 साल में नक्सली हिंसा में मारे गए पुलिसकर्मी नक्सल हिंसा में 1887 आम लोग मारे गएः नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा झारखंड के आम लोगों को भुगतना पड़ा है. 2001 से लेकर 2022 के अक्टूबर महीने तक नक्सली हिंसा में कुल 1887 आम लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. साल 2007 में सबसे ज्यादा 175 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे. आंकड़ों को देखें तो तो 2001 में 107 सिविलियन मारे गए, 2002 में 77, 2003 में 93, 2004 में 106, 2005 में 79, 2006 में 93, 2007 में 175, 2008 में 150, 2009 में 138, 2010 में 135, 2011 में 131, 2012 में 124, 2013 में 126, 2014 में 86, 2015 में 47, 2016 में 61, 2017 में 44, 2018 में 27, 2019 में 30, 2020 में 28, 2021 में 16 और 2022 में अब तक 08 आम नागरिक मारे गए हैं.
22 साल में नक्सली हिंसा में मारे गए आम लोग मुठभेड़ में 319 नक्सली भी मारे गएः साल 2021 से लेकर अक्टूबर 2022 तक पुलिस के साथ मुठभेड़ में 319 नक्सली भी मारे गए हैं. साल 2008 में झारखंड में सबसे ज्यादा 46 नक्सली मारे गए थे. झारखंड निर्माण के पहले तीन वर्ष में 2001, 02 और 03 में नक्सलियों को कोई क्षति नहीं हुई. लेकिन 2001 से 2003 तक नक्सलियों ने 144 पुलिसवालों को मौत के घाट उतार दिया था. लेकिन साल 2004 से झारखंड पुलिस ने अपने अभियान को धार दिया और 2004 में 18 नक्सलियों को एनकाउंटर में मार गिराया. 2004 से लेकर 2022 तक हर वर्ष पुलिस ने अपने एनकाउंटर में औसतन 07 नक्सली इनकाउंटर में मारे गए. आकड़ों की बात करें तो साल 2004 में 18 नक्सली मारे गए जबकि 2005 ने 05, 2006 में 17, 2007 में 14, 2008 में 46, 2009 में 21, 2010 में 14, 2011 में 18, 2012 में 04, 2013 में 13, 2014 में 10, 2015 में 25, 2016 में 21, 2017 में 12, 2018 में 26, 2019 में 26, 2020 में 14, 2021 में 06, 2022 में अक्टूबर महीने तक 097 नक्सली मारे गए.
22 साल में मारे गए नक्सली 6265 नक्सली घटनाएं रिपोर्ट हुईंः 2001 से लेकर 2022 तक कुल 6265 नक्सली घटनाएं अलग-अलग थानों में रिपोर्ट की गई. सबसे ज्यादा नक्सली वारदात (512) 2009 में रिपोर्ट की गई.
99 बार पुलिस पर हमलाः नक्सलियों ने 2001 से लेकर 2022 तक पुलिस को लक्षित कर यानी पुलिस को निशाना का 99 बार हमले किए. पुलिस को निशाना बनाकर सीधा हमला सबसे ज्यादा 2001, 2003 और 2006 में किया गया. इन वर्षों में एक ही साल में दस बार पुलिस पर सीधे हमला किया गया.
1343 बार हुआ इनकाउंटरः साल 2001 से लेकर 2022 के अक्टूबर महीने तक पुलिस और नक्सलियों के बीच 1343 बार इनकाउंटर हुआ. पुलिस और नक्सलियों के बीच सबसे ज्यादा 119 बार साल 2009 में इनकाउंटर हुआ था. वहीं अगर इन काउंटर की आंकड़ों की बात करें तो 2001 में 80 बार 2002 में 55, 2003 में 61, 2004 में 65, 2005 में 69, 2006 में 64, 2007 में 60, 2008 में 102, 2009 में 119, 2010 में 70, 2011 में 63, 2012 में 51, 2013 में 68, 2014 में 59, 2015 में 48, 2016 में 63, 2017 में 38, 2018 में 54, 2019 में 38, 2020 में 52, 2021 में 37, 2022 में अक्टूबर महीने तक 27 बार पुलिस और नक्सली इनकाउंटर हुए.
22 साल में नक्सली मुठभेड़ रेलवे और सरकारी बिल्डिंगों को नुकसानः साल 2001 से लेकर 2022 तक नक्सलियों ने रेलवे और झारखंड की सरकारी संपत्ति को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है. हालांकि 2012 से इन घटनाओं पर लगाम लग गई. नक्सलियों ने साल 2001 के बाद अब तक 170 बार रेलवे के किसी न किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. वहीं 2001 से 22 के बीच 177 सरकारी भवनों को भी नक्सलियो के द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है.