रांची:झारखंड सरकार में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बनाए गए एक नियम को लेकर मेडिकल छात्र काफी परेशान हैं. मेधावी छात्रों के लिए डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था की गुहार लगाई है. दरअसल, 2016 में स्वास्थ्य विभाग ने एक नियम बनाया जिसके अंतर्गत यह अनिवार्य किया गया है राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी पास करने के बाद छात्रों को राज्य में एक साल की सेवा देनी होगी. 2018 में इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया.
नियम तोड़ने पर 30 से 60 लाख तक का जुर्माना
अगर कोई छात्र इस नियम को तोड़ता है तो उसे 30 से लेकर 60 लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा. ऐसे में कई छात्र जो आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन जुर्माने की वजह से कॉलेज नहीं छोड़ पाते. छात्रों का कहना है कि उन्हें सेवा देने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सरकार पहले आगे की पढ़ाई पूरी करने दे. रिम्स के सीनियर डॉक्टर निशित एक्का भी इस नियम के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इस जुर्माने की वजह से झारखंड के चिकित्सक बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए आगे नहीं बढ़ पाएंगे. इससे झारखंड को बेहतर डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जाएगा. यह जरूरी है कि छात्रों को आगे की पढ़ाई करने के लिए जुर्माना देने वाले नियम में ढिलाई बरती जाए.