रांची: राजधानी रांची रेड जोन में शामिल हो चुका है, जिसकी वजह से यहां संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है.हर दिन बड़ी संख्या में पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. रांची के हिंदपीढ़ी से शुरू हुआ यह खतरा अब लगभग पूरी राजधानी में फैल चुका है. ऐसे में मीटिंग में राजधानी रांची को कैसे सुरक्षित किया जाए ,जांच का दायरा कैसे बढ़ाया जाए, मेडिकल और दूसरे आवश्यक सुविधाओं की पहुंच आम लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए ताकि वे घरों पर ही रहे और उन तक सभी सुविधाएं पहुंच जाएं इस पर चर्चा की गई.
क्यों अहम थी बैठक
कोरोना कैरियर को नजरअंदाज करना रांची पर भारी पड़ गया है. 25 दिनों तक रांची के हिन्दपीढ़ी तक सिमटा कोरोना अब शहर के सात नए इलाकों तक पहुंच चुका है. सभी का कहीं न कही से हिंदपीढ़ी कनेक्शन है. नए मिले मरीजों सैंपल लेने के बाद इन्हें छोड़ दिया गया, न तो इन्हें प्रशासनिक क्वारंटाइन में रखा गया और न ही होम क्वारंटाइन में रहने की हिदायत ही दी गई. सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इनका ठिकाना तलाशा गया. नतीजा तब तक यह अपने साथ कई और लोगों को संदिग्ध के दायरे में ले आए थे. इसी लापरवाही का नतीजा है कि शहर के दो बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और बसदर का प्रसूति विभाग पूरी तरह सील हो चुका है. लगभग 50 की संख्या में चिकित्सक संदेह के घेरे में हैं. इसके अलावा विभिन्न मोहल्लों के सैकड़ों लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जारी है. मीटिंग के दौरान इन सभी लापरवाही पर भी चर्चा की गई है और इन्हें हर हाल में सुधारने का निर्देश डीसी और एसएसपी के द्वारा मौजूद अधिकारियों को दिया गया है.