रांची:नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी है और इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों का सार्वभौमिकरण करना है. नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारकर देश की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लेने की कवायद की जा रही है. झारखंड में इसको लेकर कोई कदम खास कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं. विश्वविद्यालयों में इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है.
नई शिक्षा नीति लागू करना आसान नहीं
झारखंड में नई शिक्षा नीति को लागू करना आसान नहीं होगा. इसके लिए सरकार को भी कई चीजों में सुधार करना होगा. यहां के स्कूलों में 95 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी. मौजूदा स्थिति ऐसी है कि राज्य में सृजित पदों के मुकाबले कार्यरत शिक्षकों की संख्या 70 हजार के करीब ही है. रिक्त पदों की संख्या 23 हजार से अधिक है. नई शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षक पर 30 छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी होगी और इसे मेंटेन करने के लिए एक साल के अंदर 23 हजार रिक्त पदों को भरना झारखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.
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राज्य में हर स्तर के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं. प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के सर्वाधिक पद रिक्त हैं. राज्य में शिक्षकों के कुल 95 हजार 615 स्वीकृत पद हैं जिसमें कार्यरत शिक्षकों की संख्या 72,004 ही है जबकि रिक्त पद 23,611 हैं. वहीं, राज्य के हाई स्कूलों में 25,119 शिक्षकों के पद सृजित हैं. इसमें 17,630 शिक्षक ही कार्यरत हैं. खाली पदों की संख्या 7,569 है. विभाग की मानें तो राज्य के हाई स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों के सबसे अधिक पद रिक्त हैं.
प्लस टू स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी