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अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन, झारखंड में भी दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर, पीसीसीएफ ने साझा किए विचार

झारखंड में भी जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा. प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन में इस बात का जिक्र किया है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी जानकारी दी.

Chief Forest Conservator Sanjay Srivastava
Chief Forest Conservator Sanjay Srivastava

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 19, 2023, 6:25 PM IST

रांची:बेमौसम बारिश तो कभी अचानक झुलसाती गर्मी तो कभी पारा के लुढ़कने की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है. अस्पतालों और डॉक्टर के क्लीनिक में मरीजों का रेला लगा हुआ है. मानसून के दौरान भी समान रूप से बारिश नहीं हो रही है. कभी किसी इलाके में झमाझम बारिश हो रही है तो किसी इलाके में लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. मौसम के मिजाज में पल-पल हो रहे बदलाव की वजह को भले आम लोग समझें ना समझें लेकिन जानकार जरूर समझ रहे हैं. यह बदलाव जलवायु परिवर्तन का नतीजा है.

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झारखंड का 33% से अधिक इलाका हरा-भरा है. फिर भी यहां जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है. उत्तरी-पश्चिमी जिलों गढ़वा, लातेहार और पलामू में औसत तापमान का बढ़ना, बारिश का कम होना, जंगलों में आग को इसके परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है. प्रदेश सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) संजय श्रीवास्तव ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के संयुक्त तत्वावधान में हुए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन में इस बात का जिक्र किया है.

दरअसल, जलवायु परिवर्तन की वजहों और उससे निपटने के लिए झारखंड में हो रहे कार्यों पर विचार साझा करने के लिए देश में भारतीय वन सेवा के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में पीसीसीएफ संजय श्रीवास्तव को आमंत्रित किया गया था. उन्होंने सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों-ग्रीन हाउस प्रभाव, कृषि जीवाश्म ईंधन का प्रयोग, जंगलों की कटाई, कारखाने और दूसरे तरह के प्रदूषण को मद्देनजर रखते हुए झारखंड में हरित हाइड्रोजन, जैव इंधन और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में सराहनीय पहल की गई है.

हरित हाईड्रोजन की दिशा में पहल करते हुए झारखंड के उद्योग विभाग ने टाटा समूह की कंपनी के साथ जमशेदपूर में हाइड्रोजन इंजन निर्माण की यूनिट स्थापित करने के लिए एमओयू किया है. नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में योगदान के लिए नई सौर ऊर्जा नीति लागू की गई है. सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं. गिरिडीह को सोलर सिटी के रूप में डेवलप करने की कवायद चल रही है. उन्होंने कहा कि वक्त रहते अगर प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठाया गया तो आने वाले समय में चुनौती और ज्यादा बढ़ जाएगी.

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