रांचीः तस्वीर देखकर आपको बहुत कुछ समझ आ गया होगा, यह पालना है. 'पालना' जहां या तो बिन ब्याही मां अपने नवजात को लोक लाज के डर से छोड़ जाती है या फिर झाड़ियों में पड़े किसी नवजात को कोई नेक इंसान यहां रख जाता है. इस पालना में पहुंचते ही लावारिस नवजात को संभालने की जिम्मेदारी समाज और प्रशासन की हो जाती है. इसी मकसद से रांची जिला प्रशासन ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी रिम्स के कैंपस में एक पालना बना रखा है, ठीक केली बंगला के मेन गेट के सामने. जहां चारा घोटाला में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू यादव स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. इस बंगले में लालू यादव के शिफ्ट होने से पहले रिम्स के निदेशक रहा करते थे. इन बातों का जिक्र इसलिए किया गया ताकि आपको यह बताया जा सके कि लावारिस नवजात के लिए इस जगह 'पालना' क्यों बनाया गया.
इंसानियत और व्यवस्था को चिढ़ा रहा है 'पालना'
बड़े जतन से इस 'पालना' को बनाया गया है, यहा लोहे का है ताकि कोई जानवर नवजात को नुकसान ना पहुंचा सके, मोटे चदरे की शेड भी है ताकि बारिश होने पर नवजात ना भीगे, गद्दा है ताकि नवजात को आराम मिले. जगह ऐसी है जहां नवजात रोए तो डॉक्टर और आम लोग सुन सकें. इसकी शेड पर पुलिस, चाइल्डलाइन सेवा, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी और बरियातू थाना पुलिस का नंबर भी अंकित है. जिससे पालने में पड़े बच्चे को देखकर कोई प्रशासन के लोगों को इत्तेला कर सके.
पालना में गंदगी का अंबार
लेकिन सच यह है कि इस पालने में कोई इंसान तो क्या कुत्ते का पिल्ला भी ना रखे, बेड पर धूल की मोटी परत जमी हुई है. कोरोना का दौर है बावजूद इसके बेड पर सर्जिकल ग्लव्स पड़ा हुआ है. लोहे के केज पर जंग लगी हुई है, आसपास बड़े-बड़े घास और गंदगी का अंबार है.