रांची: झारखंड की नाबालिग लड़कियां महानगरों में शोषण का शिकार हो रही हैं. खूंटी में तस्करी की शिकार नाबालिग के साथ लगातार छह साल से हो रहे शोषण और सामूहिक दुष्कर्म के मामले के सामने आने के बाद मानव तस्करी को लेकर हो रहे उपायों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
झारखंड पुलिस और सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 से लेकर अब तक 490 मामले राज्य के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थानों में दर्ज हुए हैं. इन मामलों में अब तक 281 में चार्जशीट दायर हुआ है, जबकि 84 मामले बंद हो चुके हैं, वहीं 125 केस अब तक पेंडिंग हैं.
ये भी पढ़ें-जेएमएम का बीजेपी पर हमला, कहा- दिल्ली से लेकर झारखंड तक पार्टी में भरे पड़े हैं झूठे नेता
रेक्स्यू के बाद तस्करी के 66 शिकार नहीं लाए जा सके झारखंड
साल 2020 में खूंटी, लोहरदगा, गुमला, साहिबगंज, पाकुड़ समेत अन्य जिलों के 72 लोगों को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से रेस्क्यू कर वहां के अलग अलग बाल गृहों में रखा गया है. आंकड़ों के मुताबिक, 66 लोगों को वापस झारखंड भेजे जाने के योग्य पाया गया है. लेकिन अब तक सिर्फ पांच लोगों की ही घर वापसी की प्रक्रिया हो पायी है. वहीं एक तस्करी की शिकार पीड़ित जिसकी उम्र 18 साल से अधिक है, वह राज्य में वापस नहीं आना चाहती.
कितने ट्रैफिकर हुए गिरफ्तार
राज्य की एएचटीयू थाने ने पन्नालाल सरीखे बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया है. अब तक कुल 300 पुरूष और 139 महिला तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े हैं, जबकि नाबालिगों की रेस्क्यू के आंकड़े काफी कम हैं. पुलिसिया आंकड़ों के मुताबिक, अबतक कुल 716 लोगों को रेस्क्यू किया गया है, जिसमें 585 नाबालिग या महिलाएं शामिल हैं.
प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए फल फूल रहा धंधा
दिल्ली के पंजाबीबाग, शकरपुर इलाके में काम करने वाली कई प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए मानव तस्करी का धंधा फल फूल रहा है. राज्य सीआईडी ने दिल्ली में खोली गई 200 से अधिक एजेंसियों को चिन्हित किया था, जो मानव तस्करी में संलिप्त थी. झारखंड के मानव तस्करों के तौर पर चिन्हित बाबा वामदेव, पन्नालाल, रोहित मूनि, प्रभा मूनि समेत अन्य लोगों की ओर से प्लेसमेंट एजेंसी चलाने की बात सामने आयी थी. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से नाबालिगों को दिल्ली ले जाकर इन प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए एनसीआर में नाबालिगों को घरेलू नौकरानी के तौर पर बेचा जाता है. महीने की सैलरी भी इन प्लेसमेंट एजेंसियों से जुड़े लोग ही अक्सर रख लेते हैं.
प्राइवेट वाहनों से हो रही तस्करी
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान भी प्राइवेट वाहनों से प्लेसमेंट एजेंसियां मानव तस्करी करवाती रही. स्कूल बंद होने से बच्चे गांवों में बच्चे अब भी असुरक्षित हैं. सिंगल पैरेंटिंग या परिजनों के शराब के लत के कारण दलाल आसानी से बच्चों के परिजनों को फसा रहे हैं.