रांचीःहोली खुशियों का त्योहार है जिसमें मस्ती भी है, पारिवारिक मिलन भी है और सामाजिक एकजुटता भी है. यही वजह है कि यह पर्व उत्साह के रूप में मनाया जाता है, लेकिन बदलते दौर में समाज भी बदल रहा है और परिवार की व्यवस्था भी, जिसका प्रभाव कहीं ना कहीं सामने आ रहा है. होली की मस्ती के इस माहौल में समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनों द्वारा ठुकराने की वजह से अनाथालय में रहने को विवश हैं. इनकी कभी होली अपनों के बीच होती थी. आज इनके लिए होली, दीपावली सामान्य दिन की तरह है. जहां ना कोई उत्साह और ना ही कोई उमंग. हालांकि इनकी माने तो अनाथालय में रहने वाले लोग ही अब इनका परिवार है, जहां खुशियां ही खुशियां हैं.
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ओल्ड एज होम और अनाथालय का बढ़ रहा है चलनःपारिवारिक विवाद की वजह से संयुक्त परिवार में तेजी से बिखराव आ रहा है. ओल्ड एज होम और अनाथालय का तेजी से प्रचलन बढ़ने लगा है. राजधानी रांची की ही यदि बात करें तो एक दर्जन से अधिक ओल्ड एज होम और अनाथालय यहां हैं. जिसमें सैकड़ों वृद्ध और अनाथ महिलाएं और पुरुष रहते हैं. इसी तरह से राज्य के अन्य जिलों में भी ओल्ड एज होम का कंसेप्ट तेजी से बढ़ा है. जिसमें राज्य भर में करीब 20 हजार ऐसे लोग रहते हैं.