रांची: झारखंड परिवहन विभाग की लापरवाही और सुस्ती की वजह से झारखंड के ट्रांसपोर्टर्स परेशान (Transporters of Jharkhand upset) हैं. उनकी जेब ढीली हो रही है. मामला हाई सिक्युरिटी रजिस्टेशन प्लेट से जुड़ा है. दरअसल, झारखंड में 1 अप्रैल 2019 के बाद निर्मित सभी तरह के वाहनों के लिए हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट (High security number plates) यानी एचएसआरपी को अनिवार्य कर दिया गया है. झारखंड परिवहन विभाग भी इससे इत्तेफाक रखता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड में विभाग ने इसके लिए सितंबर 2011 में ही पहल कर दी थी लेकिन अगस्त 2012 से हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट बनाने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय मोटहवाहन नियमावली 1989 के संशोधित नियम 50 के तहत और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 28 मार्च 2001 को जारी अधिसूचना के अलावा मनींद्रजीत सिंह बिट्टा बनाम भारत सरकार और अन्य मामले में साल 2008 और 2011 में आये फैसलों के आलोक में झारखंड में भी हाई सिक्युरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट योजना को लागू करने के लिए निविदा निकाली गई थी. निविदा के आधार पर मेसर्स आर्गोस इंपेक्स प्रा.लि. नामक कंपनी के एल-1 होने पर अप्रैल 2012 में एकरारनामा किया गया था. लेकिन कंपनी ने नियम और शर्तों के तहत काम नहीं किया. इस आधार पर अगस्त 2012 को एकरारनामा रद्द करते हुए कंपनी और उसके ज्वाइंट वेंचर्स को अगले पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. तब से यह मामला आरबिट्रेशन ट्रिब्युनल के पास विचाराधीन है. विभाग की इस सफाई से साफ है कि जबतक ट्रिब्युनल का फैसला नहीं आ जाता, तबतक नये सीरे से इस दिशा में कवायद नहीं हो पाएगी. खास बात है कि परिवहन विभाग के अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.