रांची: BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने चर्चित विश्वविद्यालय के अधिकारी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है. अदालत ने विश्वविद्यालय को इस बिंदु पर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. विश्वविद्यालय की ओर से जवाब पेश किए जाने के बाद मामले पर जनवरी माह में सुनवाई होगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय पर केस करने वाले संविदाकर्मी को काम से वंचित किए जाने के मामले में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से उनके मुवक्किल को काम पर रखे जाने की गुहार लगाई. विश्वविद्यालय को काम पर रखे जाने का निर्देश देने की मांग की. अदालत को बताया कि उसके मुवक्किल संविदाकर्मी ने हाई कोर्ट में केस किया है. इसलिए उसे काम नहीं दिया जा रहा है. जिन्होंने विश्वविद्यालय पर केस नहीं किया है उन्हें काम पर विश्वविद्यालय ने रखा है. याचिकाकर्ता की गुहार पर अदालत ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की. साथ ही BAU पर केस करने वाले संविदाकर्मी से भेदभाव मामले में विश्वविद्यालय को जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
अदालत ने किया यह सवाल