रांची:कोरोना ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की व्यवस्थाएं लील ली. 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलया दिवस मनाया जाता है. हीमोफीलिया खतरनाक बीमारी मानी जाती है, इसमें अत्यधिक रक्त स्राव होता है. इसके अलावा इसमें मरीजों का रक्त समान रुप में नहीं होता. इस बीमारी में लापरवाही बरतने पर मरीजों की जान भी चली जाती है.
कोरोना इफेक्टः बेहाल हुई स्वास्थ्य व्यवस्था, दयनीय स्थिति में रिम्स का हीमोफीलिया विभाग - दयनीय स्थिति में रिम्स का हीमोफीलिया विभाग
दुनियाभर में 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलया दिवस मनाया जाता है. इसी दिन हीमोफिलिक मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का संकल्प लिया जाता है. लेकिन कोरोना ने सारी व्यवस्थाएं लील ली, जिसकी वजह से हीमोफीलिया के दिन भी रिम्स का हीमोफीलिया विभाग खराब हालत में रहा.
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झारखंड की बात करें तो राज्य में हीमोफीलिया और सिकल एनीमिया जैसी बीमारियों के हजारों मरीज है. जिनका इलाज रिम्स में संचालित हीमोफीलिया सोसायटी की ओर से किया जाता है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रिम्स में संचालित हीमोफिलिया सोसाइटी आए दिन कार्यक्रम का आयोजन करती है. 17 अप्रैल को विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिस दिन लोगों को बताया जाता है कि राज्य की हीमोफिलिक मरीजों को बेहतर इलाज दिलाने के लिए रिम्स अस्पताल प्रतिबद्ध है.
इस वर्ष हीमोफीलिया दिवस पर कोरोना को देखते हुए कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया. हीमोफीलिया सोसाइटी के कुछ एक कर्मचारियों ने वेबीनार और ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया गया. इस मौके पर हीमोफिलिया सोसायटी के अध्यक्ष संतोष जायसवाल ने बताया कि हीमोफिलया से जुड़े मरीजों के लिए रिम्स एक बेहतर विकल्प है. यहां पर हीमोफीलिया सोसाइटी और रिम्स के संयुक्त प्रयास से हीमोफीलिया के गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है, जो भी संसाधन होती है, उसे हरसंभव मुहैया कराया जाता .
कोरोना के कारण दवाई और संसाधन नहीं है उपलब्ध
झारखंड हीमोफीलिया सोसायटी के अध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि वर्तमान में रिम्स प्रबंधन की ओर से हीमोफिलया के मरीजों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा. क्योंकि रिम्स में ऐसे मरीजों के लिए फैक्टर की उपलब्धता नहीं है, अभी-भी रिम्स में फेक्टर 7 उपलब्ध नहीं है, जबकि हीमोफिलिक मरीजों के लिए फेक्टर 7 काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके बावजूद भी रिम्स प्रबंधन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जबकि राज्य सरकार ने प्रबंधन को खरीदने की अनुमति भी दे दी है, फिर भी अभी तक हीमोफिलिक मरीजों के लिए लापरवाह दिख रहा है.