रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्या ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में राजनीतिक असमंजस की स्थिति दूर करने की मांग की थी. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि हम लोगों ने शुरू से कहा है और 01 सितम्बर को यूपीए शिष्टमंडल से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने भरोसा दिलाया था कि दो दिन में अपना फैसला सुना देंगे परंतु 16 दिन बाद भी स्थिति ऐसी ही बनी हुई है.
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राज्य के मुख्यमंत्री के गुरुवार को दिल्ली जाने की कौतूहल पर विराम लगाते हुए झामुमो नेता ने कहा कि हम हर जगह संघर्ष के लिए तैयार हैं. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि हेमंत सोरेन के अधिवक्ता की ओर से भारत निर्वाचन आयोग को पत्र देकर यह कहा गया (Hemant Soren letter to ECI) है कि जब 18 अगस्त को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई पूरी हो गयी तो उसके एक महीने बाद भी यह नहीं पता चला कि निर्वाचन आयोग का मंतव्य क्या है? झामुमो नेता ने कहा कि हम लोगों को यह अंदेशा है कि जिस तरह गुरुवार को भाजपा की बैठक के बाद का बयान प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने दिया वह धमकी भरा है.
झामुमो नेता ने कहा कि अगर राजभवन से और न्यायाधिकरण से हमें संरक्षण नहीं मिलेगा तो लोकतंत्र कैसे बचेगा? 22 साल बाद पिछड़ों को उचित आरक्षण मिला है तो आदिवासियों मूलवासियों को पहचान मिली है. बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री रहते और सुदेश महतो के मंत्री रहते 2001 में पिछड़ों का आरक्षण 27% से घटाकर 14% कर दिया था. बाबूलाल मरांडी ने बिना लोगों को विश्वास में लिए राज्य में डोमिसाइल लागू किया गया और राज्य धधक गया था, वह भी भाजपा की साजिश थी. रघुवर दास के शासनकाल में आजसू के मंत्री रहते 1985 को स्थानीय नीति का आधार बनाया गया.
उन्होंने कहा कि भाजपा इस राज्य का मीरजाफर है और आजसू जयचंद है. झामुमो नेता ने कहा कि अब जब झारखंड अपने सभी संसाधन के साथ आगे बढ़ रहा है तो साजिश रची जा रही है. इसलिए झामुमो एक बार फिर मांग करता है कि राज्यपाल अपना मंतव्य जल्द चुनाव आयोग को भेजे और वहां से जो निर्णय आये उससे मुख्यमंत्री को अवगत कराएं ताकि हम लीगल सहायता ले सके.