रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था के पहिये को सशक्त करने में प्रवासी श्रमिकों का बड़ा योगदान रहता है, लेकिन आज इनका भविष्य अंधकार में है. प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ठोस नीति बनाये जाने की आवश्यकता है. इनके कल्याण को बड़े विषय के रूप में देखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के दौर में राज्य के बाहर से 10 लाख लोगों को मदद पहुंचाई गई. डीबीटी के जरिए प्रवासी मजदूरों को 25 करोड़ की मदद की गई. क्वॉरेंटाइन में रखने के बाद गरीब मजदूरों को 1 महीने का राशन देकर घर भेजा गया. उन्होंने कहा है कि लोगों की क्रय शक्ति कैसे बढ़े इस दिशा में इस बार के बजट में जोर दिया जाएगा.
इसे भी पढे़ं: सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को आईआईएम करेगा ट्रेंड, स्कूल बनेंगे मॉडर्न, बच्चे होंगे स्मार्ट
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिज प्रधान राज्य है, यहां के खनन प्रभावित क्षेत्रों में ही पलायन की अधिक समस्या है, क्योंकि वहां की भूमि खेती के योग्य नहीं रहती, ऐसे में मजबूरन श्रमिकों को बाहर निकलना पड़ता है, राज्य के श्रमिकों की बेहतरी के लिए प्रयासरत हूं, आगामी बजट में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाएगा, यह कार्य ग्रामीण क्षेत्र को केंद्रित कर होगा, जिससे पलायन की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी श्रमिकों को सड़कों पर छोड़ दिया गया, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है, राज्य के श्रमिक की मौत उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान हुई, यह दुःखद है, राज्य सरकार ने आपदा में फंसे श्रमिकों के लिए टॉल फ्री नंबर जारी कर मदद करने का प्रयास किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ही एक स्थानीय अखबार में तमिलनाडु में श्रमिकों को बंधक बनाये जाने की बात सामने आई है, श्रमिकों का संगठित तरीके से शोषण किया जा रहा है.
श्रमिकों को सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए भेजा गया
राज्य सरकार के ओर से बीआरओ के साथ एक समझौता के तहत राज्य के श्रमिकों को देश के सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए भेजा गया है. पूर्व में श्रमिकों को कार्य के एवज में कम पारिश्रमिक मिलता था. राज्य सरकार के ओर से उनके लिए उचित पारिश्रमिक व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया गया.