रांची:झारखंड में डोमिसाइल का जिन्न एक बार फिर बाहर निकलने वाला है. हेमंत सरकार नए सिरे से झारखंड विधानसभा के पटल पर स्थानीयता संबंधी बिल लाने की तैयारी कर रही है. 15 दिसंबर से शुरू हो रहे झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार द्वारा 1932 खतियान आधारित डोमिसाइल बिल सदन में लाये जाने की तैयारी की गई है.
15 दिसंबर को सरकार ने बुलाई है कैबिनेट की बैठकःइन सबके बीच 15 दिसंबर को सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है. संभावना यह है कि सदन के पटल पर डोमिसाइल बिल लाने से पहले इस बिल को कैबिनेट से पास कराया जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम का मानना है कि इससे पहले पारित बिल को त्रुटिपूर्ण बताकर राजभवन ने वापस किया था. उन सभी त्रुटियों को संशोधित कर बिल एक बार फिर सदन में लाया जाएगा.
पूर्व में राज्यपाल ने विधेयक को कर दिया था वापसः गौरतलब है कि राज्यपाल के द्वारा झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिणामी, सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों का विस्तार करने के लिए विधेयक 2022 को यह कहते हुए लौटा दिया गया था कि विधेयक की धारा संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16(2) का उल्लंघन करती हुई प्रतीत होती है.
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की होती रही है मांगः राज्य गठन के बाद से ही झारखंड में स्थानीयता एक बड़ा मुद्दा रहा है. राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के समय से स्थानीय नीति बनाने को लेकर चल रहा प्रयास आज तक सफल नहीं हुआ है. हेमंत सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र के अनुरूप स्थानीय नीति बनाने की कोशिश की, लेकिन वह भी विवादों में रहा और आखिरकार राजभवन ने बिल को लौटाकर संवैधानिक पक्ष को ध्यान में रखकर पुनर्विचार करने की सलाह दी.