रांची:झारखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी सरकार ने मंत्री परिषद की बैठक में अपनी पहली सीएसआर नीति को मंजूरी दी है. इसका मकसद है केंद्र और राज्य सरकार की सीएसआर के तहत होने वाले समान विकास कार्यों के दोहराव से बचना. वर्तमान सरकार का मानना है कि नई सीएसआर नीति की मदद से राज्य सरकार, कॉरपोरेट्स, सिविल सोसाइटी और अन्य संगठनों के बीच साझेदारी बनेगी और उनकी प्राथमिकताओं और गतिविधियों को सुव्यवस्थित करना आसान होगा. प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में योजनाओं को लागू करने में सहूलियत होगी और योजनाओं से जरूरतमंद लोग लाभान्वित हो सकेंगे.
हेमंत सरकार चाहती है कि पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल और आजीविका के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने और लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में सीएसआर का सदुपयोग हो. वर्तमान सरकार का मानना है कि नई नीति के साथ कॉरपोरेट्स को प्राथमिकताओं के क्षेत्रों के बारे में सही जानकारी मिलेगी. जबकि पूर्व में नीति के अभाव में कॉरपोरेट घराने परियोजनाओं के चयन में कठिनाई का अनुभव करते थे. लेकिन, नई नीति के लागू होने से दीर्घकालिक मजबूत विकास की योजना को बल मिलेगा.