रांची: कांग्रेस विधायक कैश कांड (Congress MLA Cash Case) के खुलासे के बाद प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक घमासान मचा हुआ है. सभी एक दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं. तीन विधायकों पर प्राथमिकी की वजह से जयमंगल उर्फ अनूप सिंह अपनों के ही निशाने पर हैं. मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध माइनिंग मामले में सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी और मीडिया सलाहकार अभिषेक पिंटू से ईडी की पूछताछ पर भाजपा सरकार को घेरने में लगी है. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं. सीएम समेत उनके करीबियों के खिलाफ शेल कंपनी और माइनिंग लीज मामले में पीआईएल करने वाले अधिवक्ता राजीव कुमार खुद कैश लेकर केस दबाने के आरोप में कोलकाता में गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
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इन सभी घटनाक्रम के बीच झारखंड के राजनीतिक गलियारे में कंफ्यूजन फैला हुआ है. जितनी मुंह उतनी बातें हो रही हैं. लेकिन पार्टी के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस विधायक कैश कांड की पूरी डिटेल आलाकमान को दी जा चुकी है. पार्टी में असंतोष को पाटने के लिए हेमंत कैबिनेट में फेरबदल (Hemant Cabinet Reshuffle) का भी सुझाव दिया जा चुका है. अबतक की जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दिल्ली में 7 अगस्त को नीति आयोग की बैठक में व्यस्तता के कारण बात अटकी हुई है. उनके दिल्ली से लौटने के बाद 9 अगस्त और 10 अगस्त को रांची में जनजातीय महोत्सव होना है. तबतक फेरबदल करना आसान नहीं दिख रहा है. लेकिन जानकार कह रहे हैं कि फेरबदल का विकल्प होना भी तो जरूरी है.
हेमंत कैबिनेट में बदलाव कैसे है टेढ़ी खीर:वर्तमान में झारखंड कांग्रेस के 17 विधायक हैं. जेवीएम से आए प्रदीप यादव को मिलाकर संख्या 18 हो जाती है. कांग्रेस कोटे से रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख मंत्री हैं. शेष 14 विधायकों में तीन विधायक यानी इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप कैश कांड में जेल में हैं. अब बचे 11 विधायकों में पांच महिला विधायाक यानी दीपिका पांडेय सिंह, अंबा प्रसाद, ममता देवी, पूर्णिमा सिंह और नेहा शिल्पी तिर्की हैं. पांचों पहली बार चुनाव जीतकर आई हैं. शेष छह विधायकों में प्रदीप यादव और उमा शंकर अकेला जेवीएम और भाजपा से लौटे हैं. इसके अलावा चार विधायकों में जयमंगल उर्फ अनूप सिंह खुद सवालों के घेरे में हैं. अब बचे तीन में भूषण बाड़ा, सोनाराम सिंकू और रामचंद्र सिंह एसटी सीट से चुनाव जीते हैं. इस सूची में से कैबिनेट के लिए नाम निकालना आसान नहीं है. महिला विधायकों में दीपिका पांडेय सिंह ही एकमात्र ऐसी हैं जिनकी दिल्ली तक पकड़ है. दूसरा नाम अनूप सिंह का है जो खानदानी रूप से कांग्रेसी हैं. दोनों पहली बार चुनाव जीते हैं. लिहाजा, जातीय समीकरण के लिहाज से फॉर्मूला निकालना आसान नहीं दिख रहा है.
संगठन में बदलाव की चर्चा:कांग्रेस कोटे के कुछ मंत्रियों की कैबिनेट से विदाई के साथ-साथ झारखंड कांग्रेस संगठन में बदलाव (Change in Congress Organization) की भी चर्चा है. कैशकांड में विधायकों पर प्राथमिकी और निलंबन की कार्रवाई ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सामने चुनौती बढ़ा दी है. पार्टी में इस बात की चर्चा है कि वह खुद प्राथमिकी दर्ज कराने के समय विधायक अनूप सिंह के साथ अरगोड़ा थाना पहुंचे थे. अगर प्राथमिकी होनी ही थी तो पार्टी के प्रदेश मुखिया होने के नाते उनकी तरफ से की जानी थी. चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राष्ट्रपति चुनाव में राजेश ठाकुर क्रॉस वोटिंग को नहीं रोक पाए. यह भी कहा जा रहा है कि वह उस आरपीएन सिंह के करीबी हैं जिन्होंने यूपी चुनाव के वक्त भाजपा में जाने से पहले रामेश्वर उरांव की जगह उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिला दी थी. राजेश ठाकुर के एक साल का कार्यकाल भी इसी माह पूरा होने वाला है. लेकिन अभी तक कार्यसमिति का गठन नहीं कर पाए हैं. ऊपर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू और सुखदेव भगत के पार्टी में लौटने से पूरा समीकरण बिगड़ा हुआ है. कुल मिलाकर कहें तो संगठन को चलाने की काबिलियत रखने वाला एक सर्वमान्य चेहरा भी नजर नहीं आ रहा है. अब देखना है कि कांग्रेस आलाकमान कोई बड़ा कदम उठाएगा या टाइम बार्गेनिंग करेगा.