रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डाॅ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ में गुरुवार को गुमला में डायन-बिसाही के नाम पर हुई पांच लोगों की हत्या मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या डायन कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है या नहीं. अदालत ने इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा हैं.
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सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य में डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाने की योजना है. इसपर अदालत ने पूछा कि इस घटना में पीड़ित 5 साल की बच्ची के कल्याण को लेकर सरकार क्या कर रही हैं. अदालत के सवाल पर समाज कल्याण विभाग के सचिव ने कहा कि पीड़ित परिवार की संपत्ति और बच्ची की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को दी गई है. बच्ची की पढ़ाई के लिए उसे कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में रखने की योजना है. रिश्तेदारों की सहमति के बाद नामांकन कराया जाएगा. इसके साथ ही कहा कि डायन प्रथा से प्रभावित सूबे के 6 जिलों में तेजस्वनी क्लब बनाने की योजना है. इसमें बच्चियां सदस्य होंगी, जो गांव वालों को इस कुप्रथा के खिलाफ जागरूक करेंगी. इसके साथ ही सखी मंडल का भी सहयोग लिया जाएगा.
झकझोर देने वाली थी घटना
अदालत ने मौखिक रूप से कहा है कि जब उन्हें इस घटना की जानकारी मिली थी, तो वे रातभर सोए नहीं थे. गुमला की घटना झकझोर देने वाली थी. अदालत ने कहा कि लोगों की मानसिकता बदलनी होगी और सरकार को जागरूकता अभियान चलाना होगा. इसलिए झालसा को सभी जगहों पर लीगल क्लीनिक, लीगल कैडेट कॉर्प्स बनाने का निर्देश दिया है, ताकि यहां मिली जानकारी को बच्चे अपने घरों तक पहुंचाएं.