रांची: संथाल परगना के देवघर और पाकुड़ जिले में वर्ष 2009 में बने सड़क में हुई गड़बड़ी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी ग्रामीण कार्य विभाग के ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद सुनवाई की सभी प्रक्रिया पूर्ण कर ली है, साथ ही फैसला को सुरक्षित रखा है. शीघ्र ही फैसला सुनाया जाएगा.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में वर्ष 2009 में पाकुड़ और देवघर जिले में सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच के मामले में दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वीकृति दे दी गई है, शीघ्र ही एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि एसीबी की ओर से की जा रही जांच गलत है, इसमें कई अनदेखी की गई है, आरोपी को अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया है, इसलिए इस जांच को रद्द कर दी जाए. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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