रांची: राजधानी रांची में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के शवों को जलाने में काफी लंबी लाइन लगने और शव को सही से जलाने में आ रही कठिनाई के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन, न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई के दौरान अदालत ने कई मौखिक टिप्पणियां की. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जिंदा रहते हुए उन्हें तो शांति नहीं मिल सकी, मरने के बाद भी तो उन्हें शांति प्रदान कीजिए. झारखंड हाई कोर्ट ने रांची नगर निगम को शीघ्र कठिनाई दूर करने और त्वरित तरीके से शवों का दाह संस्कार करने को कहा है.
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अदालत ने रांची नगर निगम से पूछा कि, क्यों शव दाह में देर हो रही है? क्यों नहीं ठीक ढंग से शवों की अंतिम संस्कार हो रही है? जिस पर की रांची नगर निगम के ओर से बताया गया कि, शवदाह गृह में कुछ तकनीकी खराबी आ गई है, लेकिन इसको दूर करने के लिए काम किया जा रहा है, जिस पर अदालत ने कहा कि यह स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति है और ऐसी स्थिति में अधिकारी को किस तरीके से काम करना चाहिए, इससे उन्हें अवगत होना चाहिए. समय की भयावहता को पूर्व से अनुभूति कर उस तरह से तैयारी करनी चाहिए. यह सामान्य समय नहीं है ऐसे में अधिकारी पूर्व में ही क्यों नहीं इस तरीके से तैयारी की थी, ताकि कोई कठिनाई ना हो जिस पर रांची नगर निगम की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं दिए गए. अदालत ने असिस्टेंट मुंसिपल कमिश्नर रांची को कल हाई कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब पेश करने को कहा है.
13 अप्रैल को असिस्टेंट मुंसिपल कमिश्नर पेश करेंगे जवाब
झारखंड हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान राजधानी रांची में कोरोना संक्रमितों की लाश जलाने में आ रही कठिनाई के कारण लंबी कतारें लगने और एंबुलेंस नहीं मिलने के बारे में अधिवक्ता के द्वारा न्यायाधीश को जानकारी दी गई, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रांची नगर निगम और राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा. मामले पर 13 अप्रैल को फिर असिस्टेंट मुंसिपल कमिश्नर रांची को कोर्ट में हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा है.