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हिनू नदी अतिक्रमण मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, कहा- हर हाल में मुक्त कराएं जमीन - हिनू नदी की जमीन पर अतिक्रमण

झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में रांची के हिनू नदी (Hinoo River) अतिक्रमण मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को हर हाल में जमीन अतिक्रमुक्त कराने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने रांची उपायुक्त की निगरानी में विवादित जमीन की दोबारा मापी कराने का आदेश दिया है और रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

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झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Jul 8, 2021, 9:03 PM IST

रांची: राजधानी रांची के हिनू नदी (Hinoo River) अतिक्रमण मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है, कि नदी के अतिक्रमित जमीन को हर हाल में अतिक्रमण मुक्त करें. उन्होंने रांची डीसी को नदी के अतिक्रमण संबंधी विवाद वाले जमीन को मंगलवार को मापी कराने का निर्देश दिया है. मापी के समय डीसी या एडिशनल कलेक्टर नगर निगम के प्रतिनिधि और विवादित जमीन से संबंधित लोगों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है. उसके बाद मापी की रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है.

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झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में हिनू नदी के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण मामले की सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.

जानकारी देते अधिवक्ता

विशेषज्ञ अमीन से विवादित जमीन की मापी

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने रांची उपायुक्त की निगरानी में विवादित जमीन की दोबारा मापी कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इसके लिए मंगलवार की तिथि निर्धारित करते हुए कहा, कि इस दौरान उपायुक्त या एडिशनल कलेक्टर, नगर निगम के प्रतिनिधि और विवादित जमीन से संबंधित लोग उपस्थित रहेंगे, सभी की मौजूदगी में एक विशेषज्ञ अमीन के माध्यम से विवादित जमीन की मापी कराई जाएगी और उसकी रिपोर्ट अगले सप्ताह तक अदालत में दाखिल किया जाएगा.

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15 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
वहीं इस मामले में सरकार की ओर से अदालत को बताया गया, कि नसीमुद्दीन हैदरी द्वारा हिनू नदी की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है और उनके खिलाफ अतिक्रमण का नोटिस जारी किया है. इस दौरान हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वालों की ओर बताया गया है, कि नगर निगम का आदेश जिस दिन पारित किया गया, उस दिन नसीमुद्दीन हैदरी जीवित नहीं थे. अब इस मामले में उनके उत्तराधिकारियों की ओर से पक्ष रखा जा रहा है. ऐसे में यदि विवादित जमीन की दोबारा मापी करा ली जाती है, तो बेहतर होगा, जिस जमीन पर अतिक्रमण की बात कही जा रही है, वो उनसे संबंधित नहीं है. इस मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गई है.

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