रांचीः झारखंड में स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर काफी मुखर हैं. इसके लिए उन्होंने चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी कर ली है. लगभग 15 दिन चलने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के आंदोलन में प्रदेश और जिला स्तर के कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं. जिससे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने के आसार हैं.
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सोमवार और मंगलवार को दो दिन सभी स्वास्थ्यकर्मी विरोध स्वरुप काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे. इसके बाद 26 और 27 अप्रैल को प्रदेश भर में जिला के स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर तख्ती के साथ प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा 28 अप्रैल को एकदिवसीय अनशन का भी कार्यक्रम है. इस विरोध प्रदर्शन के बाद भी उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो 29 अप्रैल को जिलास्तर पर सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपा जाएगा.
इसके बाद 2 मई को एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्यकर्मी का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेगा और उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपेगा. इस चरणबद्ध आंदोलन और मांग पत्र सौंपने के बाद भी अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वो 3 मई को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का घेराव करेंगे.
बता दें कि एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्यकर्मियों ने 22 मार्च को अपनी विभिन्न मांगों को सरकार के सामने रखा था. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी उनकी मांगों पर कोई ठोस पहल नहीं की गयी और ना ही उन्हें किसी प्रकार का आश्वासन दिया गया. एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्यकर्मियों की मांगों में स्थायी समायोजन, कोरोना काल में मारे गए 22 स्वास्थ्यकर्मियों को मुआवजा और आश्रित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग शामिल है. इसके लिए वो लगातार अपनी बात सरकार और विभाग के सामने रख रहे हैं.