रांची: बाल विवाह के मामले में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है. कुछ महीने पहले आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार झारखंड में 32.2 फीसदी यानी प्रत्येक 10 में से कम से कम तीन लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है. जिसकी वजह से जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कम उम्र मां बनने की स्थिति में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ने का भी खतरा बना रहता है. इस समस्या से निपटने के लिए अब महिला एवं बाल विकास विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग भी आगे आया है ताकि बाल विवाह को कम कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को और कम किया जा सके और जनसंख्या नियंत्रण में भी मदद मिले.
नामकुम के IPH के सभागार में परिवार नियोजन के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार की अध्यक्षता में दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. नोडल पदाधिकारी डाॅ. अनिल कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य परिवार नियोजन गतिविधियों एवं योजनाओं के बारे में अवगत कराना है. परिवार नियोजन सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ दो बच्चों के जन्म के बीच में 3 से 5 वर्ष का अंतर लाकर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है. उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सभी योग्य दंपति तक पहुंचकर उसके इच्छानुसार परिवार नियोजन की सेवाओं को मुहैया कराने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग ने रखा है. डाॅ. अनिल कुमार ने प्रखंड प्रशिक्षक दल (बीटीटी) परिवार नियोजन के कार्यदायित्व और इसके निरंतर सेवाओं के संबंध में जानकारी दी.