रांचीः झारखंड में कोरोना से बचाव के लिए जरूरी वैक्सीनेशन की रफ्तार मंद पड़ गई है. चिंता यहीं खत्म नहीं होती 18 वर्ष से ऊपर के उम्र वाले 57 लाख लोगों ने अभी तक कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज भी नहीं लगवाई है. इससे कोरोना से लड़ाई की मुहिम में परेशानी आने का खतरा मंडरा रहा है.
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बता दें कि राज्य में 18 प्लस वाले लोगों की कुल संख्या 2 करोड़ 10 लाख 46 हजार 083 है, जिसमें से 01 करोड़ 52 लाख 75 हजार 838 लोगों ने ही वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई है, यानी निशुल्क वैक्सीन के बाद भी राज्य में 57 लाख 70 हजार 245 लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने में रूचि नहीं दिखाई है. इधर स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी कोरोना टीकाकरण की अद्यतन रिपोर्ट में कई चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं. इसमें बताया गया है कि राज्य में 18 से 59 वर्ष समूह की 2 करोड़ 7 लाख की आबादी में महज 14 हजार 500 के करीब लोगों ने वैक्सीन की पेड बूस्टर डोज का लाभ लिया है.
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 24 में से 12 जिले ऐसे हैं, जहां एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन की पेड बूस्टर डोज नहीं ली है जबकि 04 जिले ऐसे हैं जहां 10 से कम की संख्या में लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है. इसी तरह राज्य के सिर्फ तीन जिले ऐसे हैं जहां अधिक संख्या में लोगों ने पैसा देकर भी वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाई है.
झारखंड में 57 लाख लोगों ने नहीं लगवाई कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज पैसा देकर वैक्सीन लेने वालों में सबसे अधिक संख्या जमशेदपुर के लोगों की है, जहां 7382 लोगों ने पेड बूस्टर डोज ली है. रांची में 7173, धनबाद में 2257 और रामगढ़ में 476 लोगों ने पॉकेट ढीली कर वैक्सीन की बूस्टर प्रिकॉशनरी डोज लगवाई है.
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के बोकारो, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, जामताड़ा, खूंटी, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, सिमडेगा और पलामू ऐसे 12 जिले हैं जहां एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन की पेड बूस्टर डोज का लाभ नहीं लिया है.
झारखंड में 57 लाख लोगों ने नहीं लगवाई कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज 12-14 वर्ष उम्र समूह के बच्चों की अलग परेशानीः एक ओर जहां कोरोना वायरस से बचाव के लिए तमाम लोग वैक्सीन की दूसरी डोज का लाभ लेने से कतरा रहे हैं. वहीं 12 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को बिना वैक्सीन लगाए टीकाकरण केंद्रों से लौटाया जा रहा है. वैक्सीनेटर की दलील है कि बच्चों के टीके के एक वायल में 20 डोज होते हैं, ऐसे में जब तक कम से कम 15 बच्चे नहीं एकत्रित होंगे, तब तक कैसे नया वायल खोला जा सकता है. ऐसे में समस्या उन बच्चों की बढ़ जाती है जो दूसरा डोज का समय पूरा होने और मैसेज आने के बाद टीका लेने तो पहुंचते हैं पर वहां से बैरंग लौटा दिए जाते हैं. वैक्सीनेटर रीना कहती हैं कि इन दिनों बहुत कम लोग वैक्सीन लेने आ रहे हैं पहले जहां वह 80-90 लोगों को हर दिन टीका लगातीं थीं, वहीं अब संख्या घटकर 30 से भी कम रह गई है.