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स्वास्थ्य विभाग का बजट पारित, सदन में खूब हुई छींटाकशी - रांची खबर

झारखंड विधानसभा बजट सत्र के दौरान सोमवार को स्वास्थ्य विभाग का बजट पास हुआ. स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के बजट पर सदन में विधायकों ने अपने-अपने सुझाव दिए, जिसका जवाब मंत्री बन्ना गुप्ता ने दिया.

Health Department budget pass from Jharkhand Assembly
Health Department budget pass from Jharkhand Assembly

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Published : Mar 14, 2022, 10:25 PM IST

रांची: स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग का 5618.82 करोड़ का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. बजट पर वाद विवाद के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच खूब छींटाकशी हुई. कटौती प्रस्ताव लाकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने झारखंड के हेल्थ सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए. उन्होंने कोरोना संकट का हवाला देते हुए कहा कि इतने चुनौतीपूर्ण समय में भी यह विभाग 50% राशि भी खर्च नहीं कर पाया. 2021-22 में 10 बिंदुओं पर फोकस की बात की गई थी, जिनमें से तीन बिंदुओं को ही फॉलो किया गया. आयुष्मान भारत को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का नाम दे दिया गया लेकिन इसका गरीबों को फायदा नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग में लूट मची हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अलावा आज खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुदान मांगों के अलावा वित्त विभाग के पेंशन मद की वार्षिक विवरणी भी सदन पटल पर रखी गई.

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विभागवार वाद विवाद के दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से मथुरा महतो, रामचंद्र सिंह, सीता सोरेन, इरफान अंसारी और प्रदीप यादव ने उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ कुछ सुझाव भी दिए. प्रदीप यादव ने कहा कि प्रखंड और जिला स्तर के अस्पतालों को दुरुस्त करना जरूरी है. धोती साड़ी लूंगी की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. लाभुकों को सही तौल के साथ राशन मिलना चाहिए. मथुरा प्रसाद महतो ने कहा कि इस सरकार ने किडनी डायलिसिस की व्यवस्था सभी 24 जिलों में कर दी है. दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे चल रही है. उन्होंने कहा कि हर साल राज्य से 4000 डॉक्टर निकलने चाहिए लेकिन यहां के डॉक्टर बाहर चले जाते हैं. उन्होंने गंभीर बीमारी होने पर इलाज की पूरी राशि सरकार को वहन करने का सुझाव दिया. इरफान अंसारी ने कहा कि धोती साड़ी बनाने का काम यहां के बुनकरों को मिलना चाहिए.

कटौती प्रस्ताव के पक्ष में अपनी बात रखते हुए भानु प्रताप शाही ने सत्ता पक्ष के विधायकों पर चुटकी ली. इसकी वजह से दोनों पक्षों के बीच खूब छींटाकशी हुई. भानु प्रताप शाही ने कहा कि मथुरा महतो जी सारी अहर्ता रखते हैं फिर भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. इस पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि भानु जी बिन पेंदी के लोटा हैं. आप इधर आ जाएं तो हो सकता है मंत्री बन जाएं. इसमें प्रदीप यादव भी कूद पड़े और कहा कि भानु जी तो सलाह दे रहे हैं लेकिन उनको यह भी बताना चाहिए कि आडवाणी और जोशी जी आज किस हाल में है. इस पर भानु प्रताप शाही ने प्रदीप यादव पर चुटकी ली और कहा कि आप तो आज के दिन ना घर के हैं ना घाट के. भानु प्रताप शाही ने डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में 7338 डॉक्टरों की जरूरत है. यहां 3500 पद स्वीकृत हैं फिर भी सिर्फ अट्ठारह सौ चिकित्सक सेवारत हैं. इसके बावजूद सरकार वाहवाही लूट रही है. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने मेडिकल कॉलेज बनवाए थे लेकिन आज तक कहीं भी एचओडी नहीं बहाल हुए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में 17172 पारा मेडिकल स्टाफ नहीं है. कोरोना काल में लाखों की दवाइयां बर्बाद हो गयीं. भाजपा विधायक समरी लाल ने कहा कि छोटी-छोटी बात पर जिला स्तर के अस्पताल मरीजों को रिम्स रेफर कर देते हैं. इसलिए जरूरी है कि जिला स्तर के अस्पतालों को सुदृढ़ किया जाए.

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बजट पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री बन्ना गुप्ता ने विपक्षी विधायकों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार के साथ सिर मुड़ाते ही ओले पड़े वाली स्थिति हो गई. काम शुरू भी नहीं हुआ था कि वैश्विक महामारी ने जंजीरों में बांध दिया. केंद्र सरकार ने सौतेली बेटे की तरह व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि करीब 18 साल तक सत्ता में रही भाजपा ने एक लचर हेल्थ सिस्टम को हैंड ओवर किया है. जिसे दुरुस्त किया जा रहा है. अनंत ओझा पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि मां से ज्यादा मौसी के पेट में दर्द हो रहा है. भानु प्रताप शाही के बारे में उन्होंने कहा कि शूप बोले तो बोले चलनी भी बोले, यह समझ से परे है. उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह आरोप कि झारखंड में 36% वैक्सीन वेस्टेज हुआ है, सरासर गलत है. बन्ना गुप्ता ने दावा किया कि झारखंड में सिर्फ 3% वैक्सीन वेस्टेज हुआ है. इसकी केंद्रीय स्तर पर सराहना हो चुकी है. सरकार के जवाब के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों के सदन से वॉकआउट के बीच मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार सभी कमियों को दूर करने में जुटी हुई है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य में 28 लाख लाभुकों को आयुष्मान योजना के नाम पर केंद्रांश मिलता है जबकि शेष 29 लाख लोगों के पैसे राज्य सरकार वहन करती है. ऐसे में योजना को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का नाम देने पर इन्हें क्यों तकलीफ हो रही है.

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