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जयंती के 14 वर्ष का वनवास हुआ खत्म, सीएम की पहल पर पंजाब से लौटी गुमला - झारखंड खबर

गुमला की जयंती लकड़ा 14 साल बाद अपने परिवार से मिली. 14 साल पहले जयंती अपने परिवार से बिछड़ कर पंजाब चली गई थी. सीएम की पहल पर वो पंजाब से झारखंड लौटी और अपने परिवार से मिली.

Jayanti met her family
Jayanti met her family

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Published : Sep 28, 2021, 6:58 PM IST

रांची: गुमला के किताम गांव की रहने वाली जयंती लकड़ा को अपनों के पास पहुंचने के लिए करीब 14 साल तक इंतजार करना पड़ा. जयंती के बनवास का दौर खत्म हुआ सीएम हेमंत सोरेन की पहल की वजह से. कुछ समय पहले पता चला कि वह पंजाब में है. इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की कोशिशों से उसे पंजाब से दिल्ली होते हुए रांची लाया गया. मंगलवार को उसे परिजनों के साथ गुमला स्थित उसके गांव भेज दिया गया.

अचानक हो गई थी लापता

जयंती गुमला के डुमरी प्रखंड स्थित किताम गांव की निवासी है. वह संत अन्ना चैनपुर में खाना बनाने का काम करती थी. परिजनों के मुताबिक वह करीब 14 साल पहले लापता हो गई थी. लापता हो जाने के बाद वह पंजाब में मिली, जहां उसे काफी भटकना पड़ा था. पंजाब में उसे गुरुनानक वृद्धा आश्रम में शरण मिली. यह मामला 9 सितंबर 2021 को राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के पास पहुंचा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जब मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने जयंती को वापस झारखंड उसके परिजनों के पास पहुंचाने का निर्देश दिया. जयंती लकड़ा के परिवार और पंजाब स्थित गुरुनानक वृद्ध आश्रम से लगातार बात कर उसे रांची तक लाने की व्यवस्था की गई.

जयंती लकड़ा

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पिछले दिनों सीएम की पहल पर 20 साल से लापता के एतबरिया उरांव अपनों के पास पहुंची थी. लोहरदगा की रहने वाली एतबरिय अपने पिता बिरसा उरांव के साथ एक ईंट भट्टे पर काम करने के लिए उत्तर प्रदेश गई थी. वहीं से वह खो गई थी. इससे संबंधित मामला यूपी के गोरखपुर थाने में दर्ज कराया गया था. बीतते समय के साथ घरवाले नाउम्मीद हो चुके थे. इसी बीच एक ट्वीट से उम्मीद की किरण निकली.

एतबरिया के नेपाल में होने की जानकारी एक आश्रम द्वारा ट्वीट के माध्यम से दी गई. साथ ही हरियाणा पुलिस के एएसआई राजेश कुमार को भी अन्य मामले की जांच के दौरान एक नेपाली समाजसेवी ने एतबरिया की जानकारी दी. इसके बाद मुख्यमंत्री और मंत्री चंपाई सोरेन ने ट्वीट मामले को झारखंड राज्य प्रवासन नियंत्रण कक्ष के संज्ञान में देते हुए एतबरिया को वापस झारखंड लाने का आदेश दिया था.

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