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PM Kusum Yojana: जानिए झारखंड में पीएम कुसुम योजना की जमीनी हकीकत - Jharjhand news

झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पीएम कुसुम योजना के तहत सबसे ज्यादा सब्सिडी मिलती है. इस योजना के कंपोंनेंट बी के तहत लगनेवाले सौर ऊर्जा आधारित पंप की लागत पर होनेवाले खर्च पर केन्द्र सरकार 30 प्रतिशत और राज्य सरकार 67 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है इस तरह से किसान को मात्र 3 से 4 फीसदी राशि पर सौर ऊर्जा पंप दी जा रही है.

PM Kusum Yojana in Jharkhand
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Published : Jul 8, 2021, 6:33 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 8:01 PM IST

रांची: पीएम कुसुम योजना केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है इसके जरिए ना केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि खेतों में सिंचाई के साधन हमेशा उपलब्ध रहेंगे. इस योजना के जरिये राज्य के किसान अपने खेतों में सोलर सिस्टम लगाकर सौर ऊर्जा से पंपसेट चलाकर दिन के समय ही अच्छे से सिंचाई कर सकते हैं जिससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी. केन्द्र सरकार की यह कुसुम योजना किसानों के लिए लाभकारी है.

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झारखंड में सबसे ज्यादा सब्सिडी

झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पीएम कुसुम योजना के तहत सबसे ज्यादा सब्सिडी मिलती है. इस योजना के कंपोंनेंट बी के तहत लगने वाले सौर ऊर्जा आधारित पंप की लागत पर होने वाले खर्च पर केन्द्र सरकार 30 प्रतिशत और राज्य सरकार 67 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है. इस तरह से किसान को मात्र 3 से 4 फीसदी राशि पर सौर ऊर्जा पंप दिया जा रहा है.

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किसानों को नहीं मिल रहा है लाभ

कुसुम योजना के कंपोंनेंट बी के तहत पंप सोलराईजेशन कार्य को देख रहे जरेडा के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार की मानें तो जिला में गठित कमिटी से प्राप्त आवेदन के आधार पर किसानों को कुसुम योजना का लाभ दिया जा रहा है. किसानों के लिए 2HP सोलर पंपसेट के 5000 रुपए, 3HP पंपसेट के लिए 7000रुपए और 5HP पंपसेट के लिए 10,000 रुपए निर्धारित की गई है. झारखंड ऊर्जा वितरण निगम के एमडी के के वर्मा ने कहा कि किसानों को रियायती दर पर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. कोरोना के कारण रफ्तार जरूर धीमा रहा है मगर अब काम तेजी से होगा.

पटवन करता किसान

पीएम कुसुम योजना कंपोनेंट बी

जिला आवेदनों की संख्या
गुमला 169
देवघर 141
रांची 676
हजारीबाग 720
प.सिहभूम 500
खूंटी 546
चतरा 329
पलामू 535
दुमका 307
गोड्डा 586
पाकुड़ 95
साहेबगंज 154
जामताड़ा 0
कोडरमा 352
गिरिडीह 620
बोकारो 332
धनबाद 280
रामगढ़ 239
लोहरदगा 153
सरायकेला खरसावां 279
गढ़वा 02
सिमडेगा 464
पूर्वी सिंहभूम 421
लातेहार 170

कंपोनेंट सी में भी अधिक अनुदान

कंपोंनेंट सी के तहत पीएम कुसुम योजना के जरिए ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतर्गत 500-500 यानी कि 1000 ग्रिड से संचालित पंप को सोलराईजेशन करने की स्वीकृति दी गई है जिस पर होने वाले खर्च में 30% राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और शेष राशि राज्य सरकार एवं लाभुकों द्वारा अंशदान के रूप में दिया जाएगा. सरकार द्वारा इन ग्रीड पर होनेवाले खर्च की प्राक्कलित राशि 33.615 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति और 22.6455 करोड़ राज्य अनुदान की स्वीकृति दी गई है. बहरहाल आवश्यकता इस बात की है कि इस महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर गंभीरता से उतारा जाए.

झारखंड के किसान

झारखंड में पीएम कुसुम योजना

किसानों के आय बढाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम कुसुम योजना की रफ्तार झारखंड में सुस्त है. 2020 के फरवरी तक कंपोंनेंट बी के तहत राज्य भर में 8,000 सोलर पंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित था मगर आज तक पूरा नहीं हुआ है. हालत यह है कि जामताड़ा जैसे जिले से एक भी आवेदन अब तक जरेडा को नहीं मिला है. जरेडा को जिलास्तरीय कमिटी से अप्रुव आवेदन 8,070 मिला है जिसमें 2000 को सोलर पंप दिया गया है. इस कार्य को पूरा करने का एक बार फिर जरेडा ने सितंबर 2021 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है.

किसान

काम की रफ्तार पर नाराजगी

इस योजना के अंतर्गत राज्य के जो किसान अपने खेतो में सौर ऊर्जा सिस्टम लगाने के लिए लोन ले रहे हैं. वह दिए गए लोन का भुगतान नगद नहीं कर सकते है सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर राज्य के किसान अन्य किसान या सरकार को ग्रिड पर देकर अतिरिक्त आमदनी कर लोन की किश्तें चुका सकते हैं. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के सुस्त रफ्तार पर विधायक सरयू राय ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि पैसे की कमी यदि राज्य सरकार के पास है तो केंद्रीय मद के जमा पैसे से इसपर खर्च की जा सकती है.

विधायक सरयू राय

क्या है पीएम कुसुम योजना

किसानों के आय बढाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें तीन कंपोंनेंट है. इस योजना के पहले कंपोनेंट में बंजर भूमि पर किसानों किसान समूह या कॉपरेटिव समूह पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा ग्रीड कनेक्टिविटी से 5 किलोमीटर के दायरे में अनुपयोगी बंजर भूमि पर 500 केवी से 2 मेगावाट क्षमता के सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्र की स्थापना कराई जाएगी. कंपोंनेंट बी के तहत किसान या किसान समूहों द्वारा खेतों में पंपिंग सेट सौर ऊर्जा के जरिए लगाया जायेगा. वहीं, कंपोंनेंट सी के तहत पहले से बिजली आधारित खेतों में लगे पंपों को सौर ऊर्जा में बदलने और ग्रीड को सौर ऊर्जा में बदलने का काम किया जाना है.

Last Updated : Jul 8, 2021, 8:01 PM IST

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