रांची: अपने जंगल पहाड़, झरने और मनोहारी प्राकृतिक दृश्य के लिए झारखंड मशहूर है. ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपने हाथों से झारखंड को संवारा हो. हर तरफ घने जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गिरते झरने और बडे़-बडे़ चट्टान यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. लेकिन कुछ दिनों से लगातार बढ़ते औद्योगीकरण और विकास की तेज रफ्तार के कारण यहां की खूबसूरती धीरे धीरे कम हो रही थी. ऊंचे- ऊंचे कंक्रीट के जंगलों के कारण इसकी आबोहवा में जहर घुलता जा रहा था. लेकिन सीएम हेमंत सोरेन की एक योजना की बदौलत झारखंड फिर से अपने पुराने रूप में लौट रहा है. राज्य के करीब 4 हजार पंचायतों की बंजर भूमि में फिर से हरियाली दिखने लगी है.
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सीएम हेमंत की योजना ने बदला झारखंड का रूप
दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले साल कोरोना के फर्स्ट वेव के बाद नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत राज्य के सैकड़ों गांवों की पहाड़ियों और उसके आस-पास की भूमि पर लूज बोल्डर चेक डैम (LBCD) बनाए गए. इस योजना से वर्षा जल की गति को धीमी कर भूगर्भ जल के स्त्रोतों को बढ़ाया जा रहा है. सिर्फ एलबीसीडी नहीं, ट्रेंच कम बंड (TCB) के निर्माण के जरिए भी वर्षा जल रोकने में सफलता मिली है.