रांचीः झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस 18 फरवरी को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले हैं. रांची से रवानगी के पहले उन्होंने मीडिया कर्मियों से बातचीत की. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक अच्छा नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने मुझ पर आरोप लगाया कि मैं केंद्र सरकार के इशारे पर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा हूं. अगर ऐसी मेरी मंशा होती तो चुनाव आयोग से आए ओपिनियन पर मैंने आर्डर जारी कर दिया होता. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में क्या मंतव्य भेजा है. उन्होंने कहा कि यह तो राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में है कि वह इस पर कब आदेश पारित करे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग का मंतव्य आने के बाद राज्य सरकार के कामकाज में तेजी भी आई है.
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कोई भी मसला अगर विचार के लिए उनके पास आता है तो वह उस पर सलाह ले सकते हैं ,राय मशवरा भी कर सकते हैं. निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई टाइम फ्रेम नहीं होता है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का मंतव्य आने के बाद कई तरह के सवाल उठाए गए. सरकार की ओर से चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर मंतव्य की कॉपी की मांग की गई. लेकिन आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि इस पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ राजभवन को है. इसको ध्यान में रखते हुए मैंने तय कर रखा था कि इस पर सही समय आने पर फैसला लिया जाएगा. राज्यपाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि झारखंड में किस तरह से सरकारें अस्थिरता के दौर से गुजरी हैं. इसको ध्यान में रखकर मैं कतई नहीं चाहता था कि सरकार को अस्थिर किया जाए. मैंने स्पष्ट कहा था कि सरकार अपना काम करें. जब मुझे लगेगा कि फैसला लेना चाहिए तो मैं जरूर लूंगा. उन्होंने कहा कि शायद यही वजह है कि चुनाव आयोग का मंतव्य आने के बाद पिछले 6 महीने में राज्य सरकार ने जितने काम किए हैं, उतने काम पिछले 2 वर्षों में नहीं किए थे.
आपको बता दें कि पिछले साल 25 अगस्त को सीएम के नाम रांची में पत्थर खदान आवंटन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग ने राजभवन को अपना मंतव्य भेजा था. उस वक्त जोर शोर से इस बात की चर्चा थी कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को विधानसभा की सदस्यता से डिसक्वालीफाई करने का सुझाव दिया था. मीडिया में इस खबर के आने के बाद मुख्यमंत्री के आवास पर सत्ताधारी दलों की कई बैठकें हुई थी. आलम यह था कि सत्ताधारी दल के मंत्री और विधायक लतरातू डैम से लेकर रायपुर के रिसोर्ट तक सैर कर रहे थे.