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झारखंड स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए राज्यपाल, निशिकांत दूबे ने उठाए सवाल, चर्चाओं का बाजार गर्म

झारखंड के 22वें स्थापना दिवस समारोह में राज्यपाल रमेश बैस(Governor ramesh bais) शामिल नहीं हुए. इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन राज्यपाल की इज्जत नहीं करते हैं.

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Published : Nov 15, 2022, 2:26 PM IST

रांचीः झारखंड के 22वें राज्य स्थापना दिवस समारोह(Jharkhand Foundation Day program) में राज्यपाल के नहीं पहुंचने से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. कल तक राज्यपाल रमेश बैस मोराबादी में आयोजित राज्य स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे. इसको लेकर मिनट 2 मिनट कार्यक्रम भी जारी हो चुका था. कार्यक्रम स्थल पर आगमन को लेकर घोषणाएं की जा रही थी. लेकिन दोपहर 1:00 बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंच पर पहुंचते ही यह स्पष्ट हो गया कि राज्यपाल रमेश बैस नहीं आ रहे हैं.

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राज्यपाल के नहींं आने की वजह से थोड़ी देर तक मंच पर ऊहापोह वाली स्थिति दिखी. इसके बाद कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल बदल गया. थोड़ी ही देर में उद्घोषिका ने राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया. इससे स्पष्ट हो गया कि राज्यपाल रमेश बैस नहीं आ रहे हैं. इसी दौरान सांसद निशिकांत दुबे ने एक ट्वीट कर खलबली मचा दी. उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की नजर में महामहिम झारखंड के राज्यपाल चपरासी के बराबर हैं. आज स्थापना दिवस है और आज ही उनको निमंत्रण, इतना अहंकार, शब्दों की मर्यादा नहीं. आज अखबार के विज्ञापन में राज्यपाल जी का फोटो नहीं. यह राज्य प्राइवेट लिमिटेड कपनी है और इसके अधिकारी उनके चमचे.

अब इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि राज्यपाल क्यों नहीं आये. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से झारखंड हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई है, जिसमें राज्यपाल की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की गई है. रिट में कहा गया है कि माइंस लीज मामले में चुनाव आयोग का ओपिनियन आने के बाद राज्यपाल ने एक मीडिया इंटरव्यू में दोबारा ओपिनियन मांगने की बात कही है. इस आधार पर कार्रवाई कर सकते हैं. माना जा रहा है कि इसी रिट के बाद खटास बढ़ी है. इस बीच आपको बता दें कि 17 नवंबर को मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री को समन कर दफ्तर बुलाया है. इन ताजा राजनीतिक घटनाक्रमों की वजह से सियासी पारा चढ़ा हुआ है.

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