रांचीः सोमवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की स्थिति की समीक्षा की है. उन्होंने इन योजनाओं से जुड़े पदाधिकारियों से बैठक कर जल्द से जल्द योजनाओं को धरातल पर उतरने का निर्देश दिया है. वहीं, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक कर विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई है.
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न योजनाओं से जुड़े पदाधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक कर उन्हें दिशा-निर्देश दिया है. द्रौपदी मुर्मू ने स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की स्थिति की समीक्षा की है. उन्होंने जनजाति समुदाय को नशा पान से दूर करने के लिए राजनीति और सामाजिक जगत से जुड़े लोगों को आगे आने का निर्देश दिया है.
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मौके पर राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को शिक्षकों की कमी के वजह अध्ययन में किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो इस दिशा में तत्काल घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. इस दिशा में राज्य सरकार को सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अधिकारी ध्यान दें की गैर आदिवासी व्यक्ति अगर किसी आदिवासी लड़की से संपत्ति और जमीन के लालच से शादी करता है, तो यह अनुचित होगा. इस दिशा में अब पहल किया जा रहा है कि विवाहित लड़कियों को अब अपने पति का नाम लिखना आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि आदिवासी भूमि पर बैंक के ऋण दिए जाने के प्रावधान की दिशा में मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था. जिसके तहत यह निर्णय हुआ था कि आदिवासी भूमि को मार्गेट रखकर उस पर बैंक द्वारा ऋण उपलब्ध कराया जाएगा और सरकार उसका गारंटर बनेगी. इस बात को भी लोगों तक पहुंचाना जरूरी है .इस दिशा में संबंधित अधिकारी कार्रवाई करें.
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बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने विभिन्न बिंदुओं पर राज्यपाल के समीप अपनी राय दी गई है.
*वर्तमान स्थान नीति जनजातीय समाज के लिए अनुकूल नहीं है क्योंकि सरकार उनसे खतियान मांग रही है.
*सीएनटी एक्ट 1908 नीति में संशोधन पर आत्ममंथन की आवश्यकता है कि क्या यह अधिनियम भूमि की सुरक्षा कवच बन पा रही है या नहीं.
*विकास के नाम पर आदिवासियों के विस्थापन की समस्या विस्थापन से पूर्व लोगों के पुनर्वास और रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित हो.
* आदिवासी भूमि पर बैंक ऋण की सुविधा हो.
* मुंडारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने के लिए पहल होना जरूरी है.
*जनजातीय भाषा विभागों में शिक्षकों की कमी है. विश्वविद्यालय में एसटी-एससी सेल का गठन जरूरी है.
* बहुत से गैर आदिवासी लोग जमीन के लालच में आदिवासी लड़की के साथ शादी करते हैं.
*चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में आउटसोर्सिंग नियुक्ति पर रोक लगाया जाए. जनजातीय खेल को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है.
विभिन्न सामाजिक और आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों के दिए गए राय के आधार पर ही राज्यपाल द्रोपति मुर्मू ने समीक्षा की है. वहीं, संबंधित अधिकारियों को कई निर्देश भी जारी किया गया है.