रांची:सोमवार को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू अपने पैतृक गांव ओडिशा के रायरंगपुर के लिए रवाना हो गई हैं. इससे पहले बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर राज्यपाल रेड कार्पेट विदाई विदाई दी गई. इस मौके पर राज्य के सीएम हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन समेत कई वरीय अधिकारी शामिल हुए. पूरे सम्मान के साथ राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू को उनके पैतृक गांव ओडिशा के रायरंगपुर के लिए रवाना किया गया.
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'झारखंड के लोग अच्छे'
विदाई के मौके पर द्रौपदी मुर्मू भाव-विभोर हो गईं. उन्होंने झारखंड से विदाई लेते लेते कहा कि झारखंड के लोग काफी अच्छे हैं और यहां का अनुभव बहुत ही बेहतर रहा. यहां मिले सम्मान को वो हमेशा याद रखेंगी.
सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को किया विदा मुख्यमंत्री आवास में विदाई समारोह का आयोजन
इससे पहले रविवार को कांके रोड स्थित सीएम हेमंत सोरेन के आवास में राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया था. सादगी से भरे भावपूर्ण वातावरण में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, मंत्री रामेश्वर उरांव, मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर, मंत्री बादल पत्रलेख, मंत्री सत्यानंद भोक्ता और मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी बुके भेंट कर विदाई दी. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सभी का सहृदय अभिवादन किया और कहा कि उन्हें हमेशा झारखंड, यहां के लोग उनकी ओर से दिया गया मान और सम्मान याद रहेगा. वो इसके लिए सदा आभारी रहेंगी.
6 साल का कार्यकाल अनुकरणीयः हेमंत सोरेन
विदाई समारोह में सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू के 6 साल के कार्यकाल को झारखंड के लिए अविस्मरणीय बताया. उन्होंने कहा राज्यपाल के रूप में इनके कार्य सदैव हम सभी के लिए अनुकरणीय रहेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने बेहतर मार्गदर्शन और समन्वय से राज्य में गुड गवर्नेंस का उदाहरण पेश किया. इन्होंने कई कठिन निर्णय को सरलता से लेते हुए समस्याओं का समाधान किया. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के हर वर्ग के लोगों के प्रति इनका विशेष लगाव और प्यार था हर वर्ग के लोगों के साथ इनका सीधा संवाद निश्चित रूप से काफी सराहनीय रहा.
14 जुलाई को शपथ लेंगे रमेश बैस
रमेश बैस को झारखंड का नया राज्यपाल बनाया गया है. जानकारी के मुताबिक 14 जुलाई को उनको राज्यपाल पद की शपथ दिलाई जाएगी जाएगी. रमेश बैस इससे पहले त्रिपुरा के राज्यपाल थे. वो बीजेपी की कद्दावर नेता रहे हैं. रमेश बैस ने कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल और श्यामाचरण शुक्ल जैसे नेताओं को हराया है. छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी 2009 में रमेश बैस से चुनाव हार चुके हैं. रमेश बैस की एक खास बात यह है कि वे कभी चुनाव नहीं हारे. लगातार चुनाव जीतने के बाद भी 2019 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है. लेकिन चुनाव के बाद उन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया. रमेश बैस लाल कृष्ण आडवाणी के काफी करीबी माने जाते हैं. वे केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के भी काफी करीबी थे. सुषमा स्वराज से उनके पारिवारिक संबंध रहे. सुषमा स्वराज रमेश बैस को अपना भाई मानती थीं.