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राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने किया इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन सेंटर का उद्घाटन, विलुप्ति के कगार पर पहुंचीं भाषाओं पर होगा शोध - रांची में अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंटेशन सेंटर का उद्घाटन

रांची में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन सेंटर का उद्घाटन किया. जहां विलुप्ति के कगार पर पहुंचीं भाषाओं पर शोध किया जाएगा.

governor draupadi murmu
अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंटेशन सेंटर का उद्घाटन

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Published : Feb 21, 2021, 3:26 PM IST

रांची:डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. कार्यक्रम में जर्मनी के कील विश्वविद्यालय से जॉन पीटरसन भी ऑनलाइन जुड़े. इस मौके पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय लुप्तप्राय भाषा और संस्कृति प्रलेखन केंद्र का भी उद्घाटन किया.

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वर्ष 2019 में लंदन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने असुर भाषा पर रिसर्च किया था और इसको लंदन यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर लॉन्च किया. अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग असुर भाषा से जुड़ी तमाम बारीकियों को जान सकेंगे.


तुरी समेत कई भाषाओं पर शोध
तुरी समेत विभिन्न भाषाओं में रिसर्च करने के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन पीटरसन की देखरेख में डीएसपीएमयू परिसर में एक लुप्त प्राय भाषा और संस्कृति प्रलेखन केंद्र शुरू किया गया है. इस केंद्र का उद्घाटन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने किया. वहीं डीएसपीएमयू के सभागार में इस विशेष मौके पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें कई शिक्षाविद, भाषा विशेषज्ञ भी शामिल हुए. इस मौके पर ऑनलाइन कील यूनिवर्सिटी के भाषा विशेषज्ञ डॉक्टर जॉन पीटरसन भी शामिल हुए.

मां का स्वरूप है मातृभाषाः राज्यपाल
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि लगातार डीएसपीएमयू ने भाषाओं को सुरक्षित करने के उद्देश्य से काम कर रही है. कई भाषाओं को संरक्षित करने का काम अब तक हो चुका है. वहीं उन्होंने कहा अपनी भाषाओं को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को अपनी भाषा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए. कभी भी अपनी भाषा मे संबोधन करने से संकोच नही करना चाहिए. मातृ भाषा, मां का स्वरूप है इसकी इज्जत हमेशा करनी चाहिए.

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