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'भारतीय ज्ञान पद्धति दुनिया की सबसे प्राचीन और अलौकिक', संस्कृत सप्ताह के शुभारंभ पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने की सराहना

रांची के श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ हुआ. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने संस्कृत भाषा और भारतीय ज्ञान पद्धति की जमकर सराहना की.

CP Radhakrishnan praised Sanskrit language
CP Radhakrishnan praised Sanskrit language

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 26, 2023, 7:37 PM IST

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रांची: झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भारतीय ज्ञान पद्धति को दुनिया की सबसे प्राचीन और अलौकिक पद्धति बताते हुए इसकी सराहना की है. राजधानी के श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत सप्ताह के शुभारंभ पर आयोजित व्याख्यान में शिरकत करते हुए राज्यपाल ने ना केवल संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डाला बल्कि इसकी जमकर सराहना की.

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उन्होंने कहा कि संस्कृत और तमिल हमारी प्राचीन भाषा है जो दूसरी भाषाओं की जननी है. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं. इस मौके पर जहां संस्कृत में लिखी गई पुस्तक का राज्यपाल ने विमोचन किया. वहीं संस्कृत भाषा में प्रकाशित पुस्तकों की लगी प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया.

संस्कृत में है ज्ञान का भंडार-दिनेश कामत:डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृत भारती के सचिव दिनेश कामत ने संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत में ज्ञान का भंडार है, जो हर क्षेत्र के लिए उपयोगी है. उन्होंने आयुर्वेद की चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना काल में इसकी उपयोगिता और चिकित्सा पद्धति से दुनिया अवगत हो चुकी है. भाषायी लिपि पर प्रकाश डालते हुए दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं से अलग लिपि है, जो ना केवल वैज्ञानिक दृष्टि से खास है. बल्कि धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से भी खास महत्व रखती है.

'संस्कृत शब्दों को सही से उच्चारण करने से सभी भाषाएं हो जाती हैं आसान': उन्होंने कहा कि जो संस्कृत शब्दों को सही से उच्चारण कर लेते हैं, वे अन्य भाषाओं को भी सरलता से जान सकते हैं, समझ सकते हैं और बोल सकते हैं. यही वजह है कि संस्कृत भाषी जब विदेश जाते हैं तो उनके द्वारा बोले जाने वाले अंग्रेजी के उच्चारण विदेशी द्वारा बोली जाने वाले अंग्रेजी से अधिक शुद्ध होती है. भारतीय ज्ञान पद्धति की यह विशेषता रही है कि एक समय के बाद वन गमण होता था, जहां बच्चों को शिक्षा दी जाती थी. ज्ञान दर्शन के लिए ध्यान का भी होना आवश्यक है. संस्कृति विश्व की पहली भाषा है जिसमें 43 लाख पांडुलिपियां मौजूद हैं, जिनमें से मात्र 45000 अभी तक प्रकाशित हुई हैं.

इस अवसर पर कुलपति तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि संस्कृत सप्ताह के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिसमें विद्यार्थियों के बीच लेखन प्रतियोगिता से लेकर व्याख्यान आयोजित होगें. इसके माध्यम से संस्कृत के महत्व को बताया जायेगा.

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