रांचीः राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि झारखंड की न्यायपालिका काफी तेजी से डिजिटल हो रही है. झारखंड हाईकोर्ट का यह प्रयास सराहनीय है और पूरे देश में यह उदाहरण बन रहा है. झारखंड की न्यायापालिका समाज के अंतिम व्यक्ति को त्वरित न्याय दिलाने में हमेशा तत्पर रही है. वह गुरुवार को हाईकोर्ट, झालसा और ज्यूडिशियल एकेडमी की ओर से संविधान दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी. इस अवसर पर उन्होंने हाईकोर्ट में ई फाइलिंग और ऑनलाइन सर्टिफाइड कॉपी योजना का शुभारंभ भी किया.
राज्यपाल ने कहा कि अभी पूरा देश नोबेल कोरोनावायरस के संक्रमण से प्रभावित है. उम्मीद है जल्द ही देश इस पर विजय प्राप्त कर के पूर्व की भांति विकास के पथ पर अग्रसर होगा. उन्होंने न्यायिक पदाधिकारियों को शुभकामना देते हुए उनसे उम्मीद कि आने वाले समय में नि:संकोच लोगों को त्वरित न्याय प्रदान कराने में अपना सार्थक प्रयास करेंगे और इस में सफल होंगे.
हर चुनौतियों से लड़ने का रास्ता देता है संविधान: सीएम हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे देश का संविधान हर प्रकार से की चुनौतियों से लड़ने का रास्ता प्रदान करता है. जब हमारा देश आजाद हुआ था तो कई प्रकार की चुनौतियां थीं. देश कई रास्ते रियासतों में बंटा था. भाषा संप्रदाय धर्म आदि अनेकों प्रकार की समस्याएं थी पर संविधान निर्माताओं के द्वारा बनाए हुए संविधान ने इन सभी समस्याओं को आसानी से हल कर लिया. किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए एक सशक्त संविधान की आवश्यकता होती है. हमारे देश का संविधान भी बहुत ही सशक्त है और हम उसके साथ विकास के पथ पर अग्रसर है. सरकार और शासन का आचरण यदि सिर्फ संविधान के अनुरूप हो और संविधान के अनुरूप सरकारें और शासन कार्य करें तो और कुछ किए जाने की आवश्यकता नहीं है.
झारखंड की न्यायपालिका हो रहा डिजिटलः राज्यपाल, हाईकोर्ट का यह प्रयास सराहनीय
संविधान दिवस के मौके पर राज्यपाल ने कार्यक्रम को संबोधित किया. झालसा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ-साथ सीएम और चीफ जस्टिस ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया.
समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए काम करें: चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने संस्कृत का श्लोक और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों का स्मरण दिलाते हुए कहां किस संविधान चाहे जैसा भी हो यदि उसे कार्यान्वित करने वाले अच्छे होंगे तभी वह अच्छा साबित होगा. हमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए मिल कर काम करना होगा. उन्होंने डिजिटाइजेशन पर चर्ता करते हुए ईकोर्ट प्रोजेक्ट, ई फाइलिंग ऑनलाइन सर्टिफाइड कॉपी ऑनलाइन पेमेंट ऑफ कोर्ट फीस आदि की चर्चा की और समय के साथ परिवर्तन होते रहने की बात कही. नवनियुक्त न्यायिक अधिकारियों को आने वाले जीवन के लिए बधाई देते हुए यह नसीहत दी कि मेहनत से ईमानदारी अधिकारी बनकर दिखाना है.
लोक अदालत में 35 हजार मामलों का निपटारा: चीफ जस्टिस
संविधान दिवस पर झारखंड हाईकोर्ट में लोक अदालत का आयोजन भी किया गया. इसमें 35 हजार से अधिक मामले निपटाए गए और लोगों के बीच 1300 करोड़ रुपये का बंटवारा किया गया. लोक अदालत में सर्विस मैटर को सूचीबद्ध किया गया था. इसमें प्रमोशन, वेतन और अन्य बकाया और अन्य मामलों का निपटारा किया गया. कई मामलों को कोर्ट पहुंचने के पहले ही सुलझा दिया गया. लोक अदालत में विभिन्न कंपनियों की ओर से 497 लोगों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गयी.