रांची:राजधानी के बाल कृष्णा प्लस-2 स्कूल के शिक्षकों के प्रयास को अभिभावक समेत शिक्षा जगत में भी प्रशंसा की जा रही है. इस स्कूल के शिक्षकों ने विद्यार्थियों की पढ़ाई ना छूटे इसे देखते हुए लगभग 90 बच्चों की फीस खुद से ही भर दी और अपने स्कूल में नामांकन करवाया.
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एक तरफ जहां कई निजी स्कूलों ने फीस नहीं भरने के कारण बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित कर दिया है. फीस भरने को लेकर लगातार अभिभावकों पर स्कूल प्रबंधक की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. उन्हें परेशान किया जा रहा है. वहीं रांची के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने 90 बच्चों का नामांकन करा कर मिसाल पेश किया है. मिसाल इसलिए है कि शिक्षकों ने मिलकर सभी बच्चों के पूरे साल की फीस भरकर उनका नामांकन कराया है. यह स्कूल है रांची के बाल कृष्णा प्लस-2 विद्यालय यहां के शिक्षक शिक्षिकाओं ने नए सत्र में नौवीं कक्षा के 90 बच्चों का दाखिला खुद के पैसों से कराया है. भले ही सरकारी स्कूल के फीस 173 रुपये बहुत कम है. लेकिन खुद की कमाई के पैसे से बच्चों का नामांकन करा कर शिक्षकों ने बेहतरीन उदाहरण पेश किया है.
निजी स्कूलों से टीसी दिलवाकर अपने स्कूल में कराया नामांकन वहीं, कुछ निजी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के फीस भी इन शिक्षकों की ओर से भरा गया है और अपने स्कूल में वैसे विद्यार्थियों को नामांकित भी कराया गया है. शिक्षा विभाग की ओर से तमाम स्कूलों को निर्देश देकर यह कहा गया है कि वे नामांकन में तेजी लाएं और ड्रॉपआउट की समस्या को जल्द से जल्द खत्म करें. इसी के तहत रांची के बाल कृष्णा प्लस-2 स्कूल के शिक्षकों ने आठवीं तक की पढ़ाई कराने वाले स्कूलों से संपर्क किया और नवीं में दाखिला के लिए बच्चों को भेजने का आग्रह किया. ऐसे स्कूलों में इस स्कूल के शिक्षक विजिट भी करते थे और अपने इस स्कूल में नामांकन दिलाने के लिए अपील भी करते थे. वहीं जिन स्कूलों में फीस नहीं भरने के कारण बच्चों को टीसी नहीं मिल रहा था. वैसे स्कूलों को फीस देकर इस सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने टीसी भी दिलाई.
प्राचार्य ने जाहिर की खुशी
मामले को लेकर स्कूल के प्राचार्य दिव्या सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के कारण नामांकन से पहले हम लोगों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को जोड़ा और उनकी कक्षाएं शुरू की. पढ़ाते समय पता चला कि कई बच्चे काफी अच्छे हैं. जब नामांकन के लिए बच्चों को बुलाया गया तो बच्चे फीस नहीं दे पाने के कारण स्कूल नहीं आना चाहते थे. सरकारी स्कूलों के बच्चों से पूछा गया कि उनकी परेशानियां क्या है? उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह पढ़ाई छोड़ देना चाहते हैं और ऐसे ही बच्चों को प्रोत्साहित कर बाल कृष्णा स्कूल में नामांकन कराया गया है.