रांचीःझारखंड में शासन की नीतियों में बड़ा कन्फ्यूजन है. इसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. निर्धारित नियुक्तियां न होने से राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन नहीं हो पा रहा है, जैसे-तैसे NMC ने दुमका मेडिकल कॉलेज को नामांकन की इजाजत दे दी है. लेकिन बाकी दो पर संशय बरकरार है. हाल में ही शासन ने आकर्षक पैकेज पर सेवानिवृत्त चिकित्सा शिक्षकों के लिए भर्ती निकाला, लेकिन शिक्षक जहां नियुक्ति चाहते थे उसकी जगह कहीं और नियुक्ति दे दी. इससे ऐसे शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया. ऐसे ही कई और खामियों के कारण 169 पदों में से सिर्फ 43 पर बहाली हो पाई.
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ढाई लाख रुपये महीने पर भी नहीं दिखाया इंट्रेस्ट
राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों पलामू, हजारीबाग और दुमका के साथ-साथ MGM मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के लिए सरकार ने प्रोफेसर के 86 और एसोसिएट प्रोफेसर के 83 पद के लिए नियुक्ति निकाली थी. इसके लिए सेवानिवृत्त प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर आवेदन करने का मौका दिया गया था.
इसके लिए ढाई लाख रुपये महीने के आकर्षक पैकेज का प्रस्ताव था और उम्र सीमा भी 70 साल कर दी गई थी. लेकिन 169 पदों में से महज 43 पद पर ही बहाली हो सकी, जिसमें 27 प्रोफेसर और 16 एसोसिएट प्रोफेसर हैं. यानी सरकार और स्वास्थ्य महकमे की लाख कोशिशों के बावजूद प्राध्यापक (प्रोफेसर) के 59 और सह प्राध्यापक ( एसोसिएट प्रोफेसर ) के 67 पद खाली रह गए हैं.
नतीजा यह कि दुमका मेडिकल कॉलेज को तों शर्तो के साथ NMC ने इस वर्ष MBBS में नामांकन की मान्यता दे दी पर पलामू और हजारीबाग के नए मेडिकल कॉलेज में निर्धारित संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति न हो पाने से इस वर्ष भी MBBS में नामांकन शुरू होने पर संशय बरकरार है.
क्यों नहीं मिली फैकल्टी
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में आकर्षक पैकेज और उम्र सीमा में छूट के बावजूद मेडिकल संवर्ग में शिक्षक यानी प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की सीट खाली क्यों रह गई इस सवाल का जवाब जानने के लिए ETV Bharat की टीम उस प्रख्यात डॉक्टर के पास पहुंचीं जो रिम्स के ENT विभाग के हेड रह चुके थे और रिटायरमेंट के बाद चाहते थे कि अपने पैतृक घर के पास हजारीबाग में रहकर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में सेवा दें.