रांची: झारखंड में नई उत्पाद नीति (New Excise Policy in Jharkhand) के तहत राज्य सरकार पहले ही दिन शराब बेचने में असफल हो गई. 1 मई को ड्राई डे के बाद 2 मई को उम्मीद की जा रही थी कि शराब की दुकानें खुलेंगी लेकिन सुबह से शाम तक दुकानों में शराब की नई बोतलों के आने की प्रतीक्षा होती रही जिस वजह से दुकानें बंद रही. कहा जा रहा है डिपो से सप्लाई नहीं होने की वजह से दुकान तक शराब की पेटी नहीं पहुंच पाई.
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सरकार को करोड़ों के नुकसान की संभावना: लगातार दो दिनों से शराब की दुकान बंद रहने से सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति होने की संभावना है. जिसको देखते हुए उत्पाद भवन में देर शाम तक बैठकों का दौर जारी रहा. उत्पाद आयुक्त से लेकर झारखंड बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी जेएसबीसीएल (Jharkhand State Beverages Corporation Limited JSBCL) के अधिकारी जमे रहे. बता दें कि राज्य के सभी 5 प्रमंडल के लिए अब तक केवल दो ही थोक विक्रेता को टेंडर मिला है. एक बार फिर थोक विक्रेता की खोज के लिए फिर से टेंडर जारी किया गया है जिसके लिए 13 मई तक टेंडर भरने की अंतिम तारीख रखी गई है. नई उत्पाद नीति के तहत झारखंड बेवरेज कॉर्पोरेशन की 6 गोदामों से पूरे राज्य में शराब की आपूर्ति होगी.
नई उत्पाद नीति का विरोध: इधर खुदरा शराब विक्रेता संघ के महासचिव सुबोध जायसवाल ने सरकार की नई उत्पाद नीति का विरोध करते हुए कहा है कि इस निर्णय से पहले से काम कर रहे झारखंड के व्यापारियों और 7500 कर्मियों के पेट पर लात मारने का काम सरकार ने किया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी और वहां के शराब माफियाओं की मिलीभगत से झारखंड में सरकार शराब बेचवाना शुरू किया है. इसके विरोध में संघ द्वारा दायर याचिका पर 10 मई को हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है.
शराब की बोतलों की होगी ट्रैकिंग:झारखंड सरकार नये तौर तरीके से शराब बेचने में जुटी है. सरकार की शराब की बोतलों और केन पर सिक्योरिटी होलोग्राम (Security Hologram) लगा हुआ है. सिक्योरिटी होलोग्राम लगने से यह पता चल जायेगा कि इसका उत्पादन किस कंपनी ने किया है और सप्लाई और बिक्री कहां से हुई है. इससे नकली शराब की बिक्री और सप्लाई पर रोकथाम लगने का दावा किया जा रहा है.
शराब बेचकर 3000 करोड़ कमाने का लक्ष्य:शराब ही ऐसा सेक्टर है जहां से राज्य सरकार को भारी भरकम राशि हर साल राजस्व के रूप में प्राप्त होती है. इसलिए सरकार ने नई उत्पाद नीति के तहत शराब बेचकर 3000 करोड़ कमाने का लक्ष्य तय किया है. वर्तमान समय में झारखंड में शराब पर 75 फीसदी टैक्स है जो सरकार के खाते में जमा होता है. इस तरह से सरकार को भी हर वर्ष अच्छी खासी कमाई टैक्स के रुप में प्राप्त होती रही है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना लॉकडाउन के बावजूद 2020-21 में उत्पाद विभाग ने शराब बेचकर करीब 1800 करोड़ की कमाई की थी. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि नई उत्पाद नीति से जहां राजस्व 3000 करोड़ तक आयेगा वहीं शराब की अवैध बिक्री और वितरण पर रोक लग सकेगी.