रांची: दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में Covid-19 के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. झारखंड में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या सिंगल डिजिट में आकर फिर डबल डिजिट में पहुंच गई है. कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे में जब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हों तो सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी हो जाती है.
रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन आ गयी हैं, नहीं हो रही जांच:झारखंड में कोरोना संक्रमितों के सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग जांच राज्य में ही हो और जल्द रिपोर्ट आ जाये इसके लिए रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन तो महीना भर पहले आ गया है, परंतु अभी तक इस मशीन से एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग नहीं हो सकी है. रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू नहीं होने का जो तर्क रिम्स के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा दे रहे हैं, वह तो और हास्यास्पद है. डॉ डीके सिन्हा कहते हैं कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन आ जाना ही काफी नहीं है, बल्कि जांच के लिए उसके एशेसरीज की भी जरूरत होती है.
कोरोना की संभावित चौथी लहर सामने, रिम्स में शोभा की वस्तु बनी जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन!
देश के कई राज्यों में कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. झारखंड में कोरोना के पॉजिटिव सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग जांच में देरी हो रही है. रिम्स में मशीन आने के बावजूद जांच नहीं हो रही है.
डॉ डीके सिन्हा उदाहरण देते हैं कि जैसे टीवी चलाने के लिए स्टेबलाइजर की जरूरत होती है उसी तरह जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन के लिए भी कई एशेसरीज की जरूरत होती है, जिसकी तैयारी चल रही है. सवाल यह है कि क्या बिना एशेसरीज के ही जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन खरीदी गई या फिर एशेसरीज लगाने में अभी कितना दिन और लगेगा?
जल्द जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट शुरू करने की जरूरत- डॉ प्रभात:रिम्स के मेडिकल टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष और कोरोना टास्क फोर्स के कन्वेनर डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि जिस तरह से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं वैसे में जल्द से जल्द जीनोम सिक्वेंसिंग जांच शुरू होनी चाहिए. गौरतलब हो कि अभी कोरोना वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैम्पल आईएलएस ओडिशा भेजी जाती है, जहां से रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं.