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बक्सर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, कहा- 'चुनाव हुआ तो कोरोना केंद्र बन जाएंगे मतदान केंद्र'

जन संवाद कार्यक्रम के तहत पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में लगभग आधा दर्जन नेता बुधवार को बक्सर पहुंचे. जहां उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा.

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Published : Aug 19, 2020, 8:50 PM IST

Former Union Minister Yashwant Sinha
Former Union Minister Yashwant Sinha

बक्सर:एक तरफ जहां प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. दूसरी तरफ सूबे में अब राजनीतिक सरगर्मी भी स्पीड पकड़ने लगी हैं. सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं. इसी क्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सह यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलाइंस के संस्थापक यशवंत सिन्हा बक्सर पहुंचे. बुधवार को स्थानीय परिसदन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकार पर निशाना साधा.

'बदलो बिहार' के बैनर तले जनसंवाद कार्यक्रम को लेकर यूडीए के नेता और पूर्व सांसद अरुण कुमार, पूर्व संसद रेणु कुशवाहा, पूर्व सांसद नागमणि, पूर्व सांसद देवेन्द्र यादव समेत कई पूर्व विधायक एक दिवसीय दौरे पर बक्सर आए. प्रेस संबोधन के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि वर्तमान बिहार सरकार जनता के प्रति अपनी जबाबदेही में विफल साबित हुई है.

अलग होगा इस बार का बिहार चुनाव
यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस बार का विधानसभा चुनाव एक बड़े परिवर्तन का वाहक बनेगा. जिसकी कड़ी यूनाईटेड डेमोक्रेटिक एलाइंस होगी. वे मौजूदा परिस्थिति में चुनाव नहीं चाहते हैं. बावजूद बिहार सरकार, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव कराने पर आमादा है. इस तरह देश के प्रजातंत्र के मूल अवधारणा को ध्वस्त करते हुए तानाशाही माहौल काबिज करने का प्रयास केंद्र सरकार की ओर से किया जा रहा है.

'बदहाल है बिहार'
मौके पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि कोरोना को लेकर आज बिहार में बदहाली का आलम है. कोरोना पीड़ितो की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लोग मर रहे हैं. बिहार का स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त हो चुका है. बजाए इस तरफ ध्यान देने के जदयू और भाजपा के लोग राजनितिक रोटियां सेंकने के लिए चुनाव पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं.

'जनता को ठगना सरकार की फितरत'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि चुनाव होता है तो सारे मतदान केंद्र कोरोना केंद्र बन जाएंगे. पूर्व सांसद अरुण कुमार, पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा, नागमणि और देवेन्द्र यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री की यह फितरत रही है कि अपने स्वार्थ के लिए वे किसी से हाथ मिला सकते है और कितना भी गिर भी सकते हैं. राज्य की सरकार सिर्फ और सिर्फ घोषणा भर कर सकती है, उसको अमल में लाना सरकार के बूते की बाहर की बात होती है.

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