रांची:आदिवासी सेंगल अभियान ने मरांग बुरु यानी पारसनाथ पहाड़ को जैनों से मुक्त करने की धमकी देते हुए कहा है की केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा यदि पारसनाथ पहाड़ को आदिवासियों को नहीं सौंपा गया तो वे राम मंदिर निर्माण के लिए जिस तरह बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया उसी तरह जैन मंदिर को भी ध्वस्त कर देंगे.
Parasnath Controversy: सालखन मुर्मू ने दी धमकी, आदिवासियों को पारसनाथ पहाड़ सौंपें, नहीं तो तोड़ देंगे जैन मंदिर
पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने एक बार फिर दोहराया है कि अगर पारसनाथ पहाड़ी आदिवासियों को नहीं सौंपी जाएगी तो बाबरी मस्जिद की तरह जैन मंदिरों को भी ध्वस्त कर देंगे.
आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सलखान मुर्मू ने गुरुवार को राजधानी के मोरहाबादी बापू वाटिका के समक्ष पत्रकारों से बात करते हुए कहा की इस संदर्भ में एक 11 फरवरी को अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित 5 प्रदेशों में किया जाएगा. इसके बावजूद भी सरकार यदि नहीं मानती है तो 11 अप्रैल 2023 से अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम होगा. उन्होंने मरांग बुरु को जैनों के हाथ वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार पर बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे ईश्वर मरांग बुरु हमारा प्रकृत धर्म, सरना धर्म और हमारी धार्मिक और प्राकृतिक आस्था और विश्वास पर किसी के द्वारा चोट करना अब हम आदिवासी और बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि मरांग बुरु हमारे लिए राम मंदिर से कम नहीं हैं, इसलिए राम मंदिर आंदोलन की तरह मरांग बुरु आंदोलन भी आक्रामक हो सकता है. यदि केंद्र राज्य सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अभिलंब वार्तालाप कर समाधान की पहल नहीं करते हैं तो बाबरी मस्जिद की तरह जैन मंदिर को ध्वस्त करने के लिए आदिवासी मजबूर हो सकते हैं क्योंकि मरांग बुरु पर पहला अधिकार हम आदिवासियों का है जनों का नहीं है.
प्रखंडवार नियोजन नीति की मांग:पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने नियोजन नीति को लेकर चल रही राजनीति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की झारखंड में जब जब सरकारें बनी किसी ने भी आदिवासियों के हितों के लिए काम नहीं किया. झारखंड सरकार के पास उपलब्ध सभी सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों का 90% भाग ग्रामीण क्षेत्रों को आवंटित करने की मांग करते हुए सालखन मुर्मू ने कहा कि आबादी के अनुपात से प्रखंड वार कोटा तय किया जाए फिर प्रखंड विशेष के कोटा को उसी प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए इसमें खतियान की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि सभी स्थानीय माने जा सकते हैं और प्रखंड में उपलब्ध जातियों एसटी, एससी, ओबीसी आदि के आबादी के अनुपात से प्रखंड के कोटा को भरे जाएं. इस तरह से राज्य सरकार प्रखंड वार नियोजन नीति बनाए जिसमें 3 महीनों के भीतर यह काम पूरा हो सकता है.