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रांची: प्रोजेक्ट रिवर व्यू का कोई अस्तित्व ही नहीं, ACB जांच में अफसर पाए गए दोषी - जुमार नदी की जमीन अतिक्रमण रांची

रांची के चर्चित जुमार नदी की जमीन अतिक्रमण और बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की जमीन कब्जा मामले की जांच पूरी हो गई है. कांके के पूर्व सीओ अनिल कुमार (Former CO of Kanke Anil Kumar) और राजस्व उपनिरीक्षक रंजीत कुमार को दोषी पाया गया है.

no Project River View found in Kanke of ranchi
रांची: प्रोजेक्ट रिवर व्यू का कोई अस्तित्व ही नहीं, ACB जांच में अफसर पाए गए दोषी

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Published : Jul 17, 2021, 9:20 PM IST

रांची: जुमार नदी की जमीन के अतिक्रमण और बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की जमीन कब्जा करने के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने अपनी प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है. जांच में कांके के पूर्व सीओ अनिल कुमार और राजस्व उपनिरीक्षक रंजीत कुमार पर आरोप है. दोनों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की गई है.

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दोनों अफसर जांच में दोषी

जांच में सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि कांके में प्रोजेक्ट रिवर व्यू नाम का कोई प्रोजेक्ट है ही नहीं. एसीबी की जांच पदाधिकारी(ACB Investigating Officer) नीरा प्रभा टोप्पो ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि स्थलीय जांच के दौरान उन्होंने पाया की जमीन पर रिवर व्यू नाम का प्रोजेक्ट नहीं है. स्थानीय रैयतों की ओर से वहां काम किया जा रहा है, यह स्थल नदी के किनारे है इसलिए इसे रिवर व्यू कहा जा रहा है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एसीबी जुमार नदी अतिक्रमण मामले की जांच कर रही है. एसीबी ने कांके के तत्कालीन सीओ अनिल कुमार और राजस्व उप निरीक्षक रंजीत कुमार को भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम 1988 की धारा 7 (क) (ख) और (ग) के तहत स्पष्ट रूप से दोषी पाया गया है. अनिल कुमार झारखंड सरकार में द्वितीय श्रेणी जबकि रंजीत तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं.

क्या है एसीबी की रिपोर्ट में
रिवर व्यू प्रोजेक्ट के कथित नाम पर नदी की जमीन को समतलीकरण करने के मामले में एसीबी की टीम ने यह पाया है कि कांके के तत्कालीन अंचल पदाधिकारी और कर्मियों की ओर से सोची समझी साजिश और अप्रत्यक्ष रूप से निजी हितों के कारण सही तथ्य छिपाये गए हैं. एसीबी ने अपनी 18 पन्नों की जांच रिपोर्ट में पूरी जांच की बिंदुवार रिपोर्ट जमा कर दी है. एसीबी की टीम की ओर से की गयी जांच के मुताबिक रिवर व्यू के नाम से कोई भी संस्थान रस्जिटर्ड नहीं है, लेकिन कमलेश कुमार की ओर से डीड संख्या 519/2020 ,डीड संख्या 5517/2020,डीड संख्या 6015/2020 और डीड संख्या 6063/2020 और डीड संख्या 6064/2020 के माध्यम से खरीद बिक्री की गयी है. जांच के दौरान यह पाया गया कि जुमार नदी की भूमि जिसका खाता संख्या 136 प्लाट संख्या 2381 पर आंशिक रूप से मिट्टी के भराव का कार्य किया गया है. जिस जमीन को विवादास्पद बताया गया है, उसपर प्लॉटिंग की जा रही है.

रेरा या नगर निगम में नहीं है निबंधन
एसीबी ने पूरे मामले में नगर निगम और रेरा से भी जानकारी ली है. जांच रिपोर्ट में अनुसंधानक ने लिखा है कि रेरा या निगम से रिवर व्यू के नाम पर कोई निबंधन नहीं है. न ही जमीन बेचने को लेकर कोई लाइसेंस ही लिया गया है.


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पहले भी घूस लेने के आरोप में हो चुकी है गिरफ्तारी
रंजीत कुमार से एसीबी ने पूछताछ की थी. रंजीत कुमार ने एसीबी को बताया है कि पहले भी उसकी गिरफ्तारी घूस लेने के मामले में हुई थी. 2009 में शहर अंचल में राजस्व कर्मचारी के प्रभार में रहने के दौरान 4300 रुपये घूस लेने के आरोप में उन्हें पकड़ा गया था. वहीं, इस पूरे मामले में जमीन कब्जा करने वाले जमीन माफिया कमलेश कुमार भी अब एंटी करप्शन ब्यूरो के रडार पर है. कमलेश कुमार पर पहले से ही कांके थाना में मामला दर्ज है माना जा रहा है कि जल्द ही इस केस में एंटी करप्शन ब्यूरो कमलेश के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करेगी.

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