रांची:पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को सरकारी बंगला नहीं मिल सकता है. पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित किया जाना अदालत का अवमानना होगा. विधायक सरयू राय ने भी इस मामले पर कहा है कि पूर्व सीएम को अब सरकारी बंगला नहीं दिया जा सकता. आइए जानें क्यों नहीं दिया जा सकता है पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी आवास ?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था गलत
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास, सुरक्षा गार्ड, कार्यालय, टेलीफोन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकती हैं. पूर्व में उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास, कार्यालय, टेलीफोन और अन्य सुविधा उपलब्ध कराए जाने के मामले पर लोक प्रहरी नामक संस्था ने एक याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की थी. उसी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे गलत मानते हुए कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी भी प्रकार की कोई सुविधा कानूनन रूप से उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती है.
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झारखंड हाई कोर्ट में दायर हुआ था पीआईएल
इसे अदालत ने जनता के पैसे का दुरुपयोग मानते हुए यूपी सरकार के आदेश को खारिज कर दिया था. उसके बाद यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए यूपी सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह आदेश पूरे देश में लागू होता है लिहाजा, दीवान इंद्रनील सिन्हा ने झारखंड हाई कोर्ट में वर्ष 2016 में एक जनहित याचिका दायर की थी. जनहित याचिका के माध्यम से उन्होंने अदालत से मांग की थी कि झारखंड में जो पूर्व मुख्यमंत्री को सुविधा दी जा रही है वह अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गलत है.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को नहीं मिला आवास
इस मामले में तत्कालीन रघुवर सरकार की ओर से अदालत को आश्वस्त किया गया था कि झारखंड में किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को आवास नहीं दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से जिसे दिया गया था, वह खाली करा दिया गया है. सरकार का पक्ष सुनने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया था. अब रघुवर दास की ओर से आवास आवंटित किए जाने की बात सामने आने पर यह मुद्दा उठा है कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधाएं दी जा सकती है या नहीं.