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Published : Apr 15, 2023, 8:01 AM IST

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ईडी की इंटरनल सर्वे में खुला जमीन के फर्जीवाड़े का राज, कई अंचलों के कर्मी रडार पर

रांची में जमीन के फर्जीवाड़े को लेकर ईडी की इंटरनल सर्वे में कई खुलासे हुए हैं. भू माफिया कई सरकारी और गैर सरकारी जमीनों को बेचने की फिराक में थे. इसके लिए जमीन की नेचर में भी छेड़छाड़ की जाती थी, साथ ही फर्जी कागजात बनाए जाते थे. इसे लेकर कई अंचलों के कर्मी ईडी के रडार पर हैं.

forgery of land in Ranchi
forgery of land in Ranchi

रांची:भू-माफिया और अंचल कार्यालय की मिलीभगत के जरिए किस तरह सरकारी और दूसरे कीमती जमीनों को हथिया लिया जा रहा था, इसे लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मामले में ईडी की कार्रवाई भी ताबड़तोड़ चल रही है. रांची के वीआईपी माने जाने वाली जगहों में न सिर्फ सेना की जमीन को हड़पने की साजिश रची गई थी, बल्कि कई ऐसी सरकारी जमीन को भी हड़पने की योजना थी, जिन्हें बेचा नहीं जा सकता था.

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सरकारी सहित कई जमीन थे निशाने पर:ईडी सूत्रों के अनुसार सरकारी जमीन पर कब्जे के लिए भी अफसर अली, इम्तियाज अहमद, सद्दाम समेत अन्य के गिरोह ने फर्जी कागजात तैयार करवाए थे, साथ ही बड़गाईं अंचल के कर्मी भानु प्रताप प्रसाद के द्वारा आपराधिक गिरोह की मदद की जाती थी. ईडी ने 9 फरवरी को बड़गाईं अंचल और 15 फरवरी को रजिस्टार ऑफ एस्योरेंस कोलकाता के कार्यालय का सर्वे किया था. इस सर्वे के दौरान दोनों ही जगहों पर कागजातों में छेड़छाड़ और रिकॉर्ड बदलने की बात की पुष्टि हुई थी. सर्वे के दौरान ईडी के अफसर चौक गए थे क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर अंचल में अनियमितता थी जिसके बल पर किसी भी जमीन पर कब्जा किया जा सकता था.

जमीन के नेचर में छेड़छाड़:ईडी की जांच रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रांची के बड़गाईं अंचल में भारी पैमानें पर कागजातों के साथ छेड़छाड़ किया गया, ताकि जमीन के काल्पनिक या फर्जी मालिक को खड़ा किया जा सके. मौजा गाड़ी के प्लाट नंबर 28 के रजिस्टर दो के सेल डीड, एमएस प्लाट 557 पीएस केस नंबर 192 मोरहाबादी की जमीन में भी सेल डीड में ऐसी ही गड़बड़ी ईडी ने पकड़ी है. एक जमीन चेशायर होम रोड की थी, जबकि दूसरी सेना के कब्जे वाली जमीन थी. इसी तरह ईडी ने 15 फरवरी को रजिस्टार ऑफ एस्योरेंस कोलकाता के दफ्तर में सर्वे किया. इस सर्वे में सेना के जमीन से जुड़ी रजिस्टर के सेल डीड 4369/1932 , सेल डीड 184/1984 प्लाट नंबर 28, और सेल डीड 1813/1943 के कागजात में छेड़छाड़ पाया गया. ईडी ने पाया है कि दोनों ही जगहों पर जमीन की रिकार्ड रखने वाले कर्मियों से मिलीभगत कर छेड़छाड़ की गई, ताकि जमीन के फर्जी मालिक खड़े किए जा सकें.

जमीन के फर्जी कागजात बनाने में माहिर हैं गिरोह के सदस्य:ईडी ने जांच में पाया है कि गिरफ्तार आरोपी फर्जी कागजात तैयार करने में काफी महारत हासिल कर चुके हैं. सभी असल जमीन के कागजातों का नकल तैयार कर देते थे. इन सभी में भानु प्रताप प्रसाद उनका खास मददगार था. ईडी ने कोर्ट को भी जानकारी दी है कि 13 अप्रैल को छापेमारी के क्रम में आरोपियों के पास से फर्जी सील, स्टांप, रजिस्टार ऑफ एस्योरेंस कोलकाता समेत कई सरकारी कार्यालयों के स्टांप, सरकारी कार्यालयों के वर्षों पूर्व इस्तेमाल होने वाले स्टांप, फर्जी डीड बरामद किए गए हैं. वहीं ईडी ने कई डिजिटल डिवाइस भी बरामद किए हैं. यही वजह है कि सातों आरोपियों को पीएमएलए की सेक्शन तीन के तहत गिरफ्तार किया गया.

नामकुम अंचल भी ईडी के रडार पर:मिली जानकारी के अनुसार सरकारी सहित विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के जमीन पर भी अवैध कब्जे की कोशिश की गई है. सबसे ज्यादा हेरफेर की शिकायत नामकुम अंचल से आई है. ईडी के द्वारा भू माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद दर्जनों लोग ईडी के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंचने लगे हैं. रांची के नामकुम ,नगड़ी , अरगोड़ा ,रातू ,हेहल जैसे अंचल के लोग ईडी के पास पहुच कर अपनी शिकायत कर रहे हैं. लोगों को लग रहा है कि यदि की इस कार्रवाई से भू माफियाओं पर नकेल कसा जाएगा इसी आस में वे ईडी दफ्तर के चक्कर लगाने लगे हैं.

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