झारखंड

jharkhand

ऑल स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वनक्षेत्र में हुई है बढ़ोतरी, वन को बचाने के लिए चलाए जा रहे हैं कई योजनाएं

By

Published : Jul 10, 2019, 6:18 PM IST

झारखंड सरकार के अथक प्रयास के बाद से राज्य के वन क्षेत्र में बढ़ोतरी आई है. वन भूमि बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है जो झारखंड के अस्तित्व को बचाता है. ऐसे में वन विभाग के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी वन क्षेत्रों को बचाने का प्रयास करना होगा.

पौधा रोपन करते मुख्यमंत्री

रांची: झारखंड को कभी जंगल के मामलों में संपन्न माना जाता था. लेकिन शहरीकरण की वजह से वन क्षेत्रों में कमी देखी जा रही थी, लेकिन पिछ्ले कुछ सालों से सरकार की कोशिश के बाद एक राहत भरी खबर आई है. ऑल स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के वन क्षेत्र में बढ़ोतरी देखी गयी है.

देखें पूरी खबर

राज्य के गठन के बाद से वन क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी
वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार झारखंड में वनों पर विभिन्न प्रकार के जैविक दबाव है विशेष कर पेड़ों की कटाई, जलावन के लिए लकड़ी की निकासी इसके अलावा खनन से भी जंगलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. बावजूद इसके राज्य में वनों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर हुई है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के गठन के बाद वन क्षेत्र में 916 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है.

हर 2 सालों में वन के क्षेत्रों में हो रही है बढ़ोतरी
⦁ राज्य का वनावरण 2001 से 2017 तक की अवधि में 22,637 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 23,553 वर्ग किलोमीटर हो गया है.
⦁ वनों के बाहर वृक्ष आवरण भी 2783 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2922 वर्ग किलोमीटर हो गया है.
इसे लेकर वन अधिकारी वीएस गौड़ बताते हैं कि देहरादून स्थित भारत सरकार की भारतीय वन सर्वेक्षण के मुख्य कार्यालय के अनुसार झारखंड के वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. राज्य के गठन के बाद भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की पिछले आठ रिपोर्ट के अनुसार झारखंड हर दूसरे साल वन क्षेत्रों की बढ़ोतरी कर रहा है.

वन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है कई योजनाएं
झारखंड सरकार की ओर से वन के क्षेत्रों में बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. उनमें जन वन योजना, वन्य जीवन संरक्षण और अपराध नियंत्रण योजना, प्रशिक्षण प्रचार अनुसंधान और मूल्यांकन योजना, सिल्वीकल्चर ऑपरेशन, अधिसूचित वन भूमि के अंदर/बाहर वृक्षारोपण योजना, अस्थाई पौधशाला और सीड आर्चडस योजना, झारखंड सहभागी प्रबंधन योजना और इको टूरिज्म योजना शामिल है.

राज्य में है एक लाख हेक्टेयर वन भूमि
वन क्षेत्रों में बढ़ोतरी करने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी नदी महोत्सव पर लोगों को वन और जल संरक्षण की अपील की थी. मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए वन विभाग ने नदी महोत्सव पर लगभग साढे़ आठ लाख पेड़ लगाने का अभियान चलाया है. वन अधिकारी विक्रम सिंह गौड़ ने बताया कि पूरे राज्य में 1 लाख हेक्टेयर वन भूमि है और राज्य गठन के बाद लगातार शहरों के विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि होने के बावजूद भी हमारे वन भूमि का क्षेत्र कम नहीं हुआ है.

राज्य में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र
⦁ पश्चिम सिंहभूम में 7224 वर्ग किलोमीटर
⦁ गुमला में 5360 वर्ग किलोमीटर
⦁ गिरिडीह में 4962 वर्ग किलोमीटर
⦁ पलामू में 4393 वर्ग किलोमीटर
⦁ लातेहार में 4291 वर्ग किलोमीटर
⦁ रांची में 5097 वर्ग किलोमीटर

वहीं, धनबाद, देवघर, गोड्डा, जामताड़ा, लोहरदगा, पाकुर, साहेबगंज में वनों के क्षेत्रों में थोड़ी कमी देखी गयी है, जिसका खामियाजा यहां के लोगों को हो रहे दूषित वातावरण से भुगतना पड़ रहा है.
बढ़ती आबादी और शहर से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.

ये भी पढ़े-बीजेपी का 'ऑपरेशन संथाल' शुरू, झामुमो के गढ़ को भेदने में जुटे रघुवर

वन भूमि बढ़ाने के लिए झारखंड में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से निश्चित ही झारखंड के अस्तित्व को बचाता है, लेकिन बढ़ती आबादी और शहर की हो रहे लगातार विकास से कहीं ना कहीं झारखंड के पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. ऐसे में जरूरी है कि वन विभाग के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी वन क्षेत्रों को बचाने के लिए आगे आना होगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details