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रिम्स में बनेगा ईस्टर्न जोन का पहला सीबीआरएन सेंटर, हादसे के दौरान होने वाली घटनाओं से ग्रसित मरीज का होगा समुचित इलाज - etv news

झारखंड में किसी हादसे के दौरान होने वाली घटनाओं में घायल होने वाले मरीजों के लिए राजधानी रांची के रिम्स में सीबीआरएन सेंटर बनाया जा रहा है. रिम्स में बनने वाला यह सेंटर ईस्टर्न जोन का पहला सेंटर बनेगा.

first CBRN center of Eastern Zone in ranchi
first CBRN center of Eastern Zone in ranchi

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 31, 2023, 9:57 PM IST

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रांची:झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में अब केमिकल बायोलॉजिकल न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल आपदाओं से निपटने के लिए डेडीकेटेड केंद्र जिसे सीबीआरएन कहा जाता है, बनाया जाएगा. इस डेडिकेटेड केंद्र के बन जाने के बाद रिम्स केमिकल, बायोलॉजिकल न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल आपदाओं से ग्रसित लोगों के समुचित इलाज के लिए ईस्टर्न जोन का पहला अस्पताल बन जायेगा. दरअसल, रिम्स ने सीबीआरएन सेंटर सहित और भी प्रोजेक्ट्स के लिए करीब 1400 करोड़ रुपए का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. जिसे प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है. जिसके बाद रिम्स इस सीबीआरएनए के निर्माण प्रक्रिया में जुट गई है.

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इस डेडीकेटेड सेंटर को बनाने के लिए भारत सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी किए गए सभी नियमावलियों का विशेष ध्यान रखा जाएगा, ताकि किसी भी रासायनिक प्रभाव को मरीज के शरीर से कम (डीकंटामिनेटेड) किया जा सके. रिम्स में बनाए जा रहे ईस्टर्न जोन का पहला सीबीआरएन सेंटर को लेकर रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉक्टर राजीव रंजन बताते हैं कि इस सेंटर को बनाने के लिए ट्रामा सेंटर के पास जगह चिन्हित किया जा रहा है.

कैसे होगा इलाज:डॉक्टर राजीव रंजन ने बताया कि इस सेंटर पर जैसे ही मरीज पहुंचेंगे, वैसे ही सेंटर के मेन गेट पर यह जांच कर लिया जाएगा कि मरीज किस श्रेणी का है. यदि मरीज किसी रसायन या केमिकल के प्रभाव में हैं तो उसे तुरंत ही डीकंटामिनेट (शुद्धिकरण) किया जाएगा, उसके बाद उसे आईसीयू या वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा. इस डेडीकेटेड सेंटर में मरीज को भर्ती करने के बाद यदि मरीज के शरीर में किसी भी केमिकल का अत्यधिक असर देखा जाएगा, तो वहां पर ऑटोमेटिक इंजेक्शन देने की भी व्यवस्था होगी, ताकि केमिकल का दुष्प्रभाव अस्पताल के नर्सों या डॉक्टरों को ना हो सके.

सेंटर में लगाए जाएंगे कई डिटेक्शन सिस्टम:डॉ राजीव रंजन ने बताया कि डेडीकेटेड सेंटर में ऐसे माॅनिटर लगे होंगे, जिससे यह पता चल जाएगा कि राेगी किस विकिरण से प्रभावित है और कितना प्रभावित है. इस मॉनिटर से यह भी पता चलेगा कि शरीर में ऐसा काेई सोर्स ताे नहीं बचा हुआ है, जो विकिरण को फिर से बढ़ा रहा है. सीबीआरएन के डेडीकेटेड सेंटर पर कई ऐसे डिटेक्शन सिस्टम भी लगाए जाएंगे, जो शरीर या शरीर के सतह पर केमिकल एजेंट्स को डिटेक्ट कर पाएगा. खासकर इसमें वैसे मरीजों का इलाज होगा, जो केमिकल फैक्ट्री या फिर अन्य रासायनिक केंद्रों पर हुए डिजास्टर के दौरान घायल होंगे. जल्द ही इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. हालांकि इस बारे में कोई विशेष तिथि की घोषणा नहीं की गई है.

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