झारखंड

jharkhand

Reality Check: रांची के इन इलाकों में आग लगी तो बचाने वाले होंगे सिर्फ भगवान!

By

Published : Feb 3, 2023, 2:40 AM IST

धनबाद में आग लगने से हुई दिल दहला लेने वाली घटना की चर्चा हर तरफ हो रही है. अब इससे सबक लेने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन रांची में कई ऐसे इलाके हैं, जहां आग लगी तो सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ना होगा. धनबाद की घटना के बावजूद रांची में ना तो प्रशासन गंभीर है और ना ही यहां के लोग.

Fire Safety Reality Check in Ranchi
Designed Image

देखें पूरी खबर

रांची:धनबाद में हुए भीषण अग्निकांड के बाद अगलगी की वारदातें रोकने पर और आग लगने के बाद उस पर जल्द काबू पा लेने की रणनीति को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है. इधर राजधानी रांची की तंग गलियां हादसों को दावत देती दिखती हैं. राजधानी में दर्जनों ऐसे इलाके हैं, जहां अगर आग लगी तो बचाने वाला सिर्फ और सिर्फ भगवान ही होंगे.

ये भी पढ़ें:धनबाद अग्निकांड पर अग्निशमन विभाग खामोश, एडीजी ने कहा बात करने का समय नहीं

13 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर बनी बहुमंजिला इमारतें:रांची में 13 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर जी प्लस टू से ऊपर दर्जनों बहुमंजिली इमारतें और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खड़ी कर दी गई है. इन संर्कीण गलियों की हालत ऐसी है कि यहां आग लगी तो दमकल का कोई वाहन मौके तक नहीं पहुंच पाएगा. रांची नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से राजधानी में यह हालात बन आए हैं. रांची के अपर बाजार के रंग रेजगली, हिंदपीढ़ी, एसएन गांगुली रोड, पीस रोड, बरियातू का जोड़ा तालाब, किशोरगंज, स्टेशन रोड यह ऐसे इलाके हैं कि अगर यहां आग लगी तो जान माल का बड़ा नुकसान होगा.

अपार्टमेंट एवं मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी नहीं: रांची अपर बाजार का पूरा इलाका तीन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां की अधिकतर गलियों की चौड़ाई 7 से 10 फीट है, जबकि यहां मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, अपार्टमेंट, मॉल आदि का निर्माण किया गया है. गलियां तो कम चौड़ी हैं ही, साथ ही वहां बने अधिकतर भवनों में फायर सेफ्टी संसाधन भी मौजूद नहीं है. इस कारण ऐसे मकान एवं प्रतिष्ठान हर समय आग की जद में हैं. कॉम्पलेक्स में आग से बचाव के उपकरणों एवं साधन में अंडरग्राउंड टैंक, ओवरहेड टैंक, वैकल्पिक बिजली व्यवस्था, राइजर, डिलेवरी आउटलेट, होज रील होज, डिलेवरी होज विथ ब्रांच, फायर अलार्म, फायरमैन स्विच, ऑटोमेटिक प्रिरंटलर आदि सबसे जरूरी हैं. लेकिन अधिकांश बिल्डिंगों में यह उपकरण ना के बराबर हैं.

सड़क का अतिक्रमण कर बनी भवनें: रांची के अधिकतर गली-मुहल्लों में सड़क का अतिक्रमण कर लिया गया है. रातू रोड के मेट्रो में लगी रेफ्यूजी कॉलोनी की बात करें तो इस गली में 14 फीट की सड़क है, लेकिन स्थानीय लोगों ने बिना नक्शा पास कराए भवन तो बनाया ही है, साथ ही सड़क को भी घेर लिया है. उस पर भी रैंप बना दिया गया है. इससे वर्तमान में सड़क की चौड़ाई आठ से नौ फीट ही रह गयी है. यह हाल सिर्फ मेट्रो गली क ही नहीं है, बल्कि हिंदपीढ़ी के नेजाम नगर, मुजाहिद नगर और किशोरगंज के अधिकतर इलाकों की भी है.

व्यापारी वर्ग संजीदा नहीं-अग्निशमन: अग्निशमन दस्ता से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक ऐसे इलाकों में आमतौर पर शॉर्ट सर्किट, जलती बीड़ी और सिगरेट आग लगती है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक ओवरलोड, जागरुकता का अभाव एवं उदासीन रवैया आग को आमंत्रण देता है. कई स्थान पर एनओसी के लिए संसाधन तो लगा लिए जाते हैं, लेकिन रखरखाव एवं आकस्मिक जांच नहीं होते रहने की वजह से ऐसे सामान बर्बाद हो जाते हैं. आग के प्रति आज भी व्यापारी वर्ग संजीदा नहीं हैं.

22 फीट चौड़ी सड़कों पर जी प्लस थ्री का प्रावधान: रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण करने के लिए भी नियम बनाए गए हैं. बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार 22 फीट चौड़ी सड़क पर जी प्लस थ्री भवन का नक्शा पास करने का प्रावधान है. यह इसलिए किया गया है कि आग लगने की घटना होने पर दमकल गाड़ियां तुरंत संबंधित स्थल पर पहुंच जाए. इसी आधार पर भवन का नक्शा भी पास किया जाता है. वहीं बायलॉज में 18 से 20 फीट की सड़क पर जी प्लस टू भवन का नक्शा पास करने का प्रावधान है, लेकिन नियमों की अनदेखी कर पहले भी निर्माण किए गए हैं और आज भी निर्माण जारी है. नगर निगम के अधिकारी न तो संर्कीण गलियों में बनी इमारतों की जांच करते हैं और न ही कोई कार्रवाई. हालांकि, निगम कार्यालय में सैकड़ों लोगों ने इसकी शिकायत भी की है. मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है. मामले में नगर निगम के अपर नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन का कहना है कि बिना नक्शे के बने भवनों की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है. शिकायत सही पाए जाने पर यूसी केस किया जाता है. कई मामलों की सुनवाई चल रही है, जल्द ही उस पर फैसला भी लिया जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details