रांची:कोविड-19 केयर सेंटर में फायर फाइटिंग की व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और आदेश जारी किए थे. इसके बाद झारखंड सरकार ने सभी कोविड-19 अस्पतालों में फायर फाइटिंग की सुविधा दुरुस्त करने से लेकर नोडल अधिकारी बनाने और हर महीने फायर सेफ्टी ऑडिट तक करने के आदेश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने आदेश तो जारी कर दिए हैं लेकिन हैरत की बात है कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स(rims) और सदर अस्पताल(sadar hospital) में ही फायर फाइटिंग की व्यवस्था नहीं है.
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नियम के अनुसार न तो फायर एक्सटिंग्विशर और न ही कर्मियों को इस्तेमाल की जानकारी
सदर अस्पताल में मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग तो बन गए लेकिन अग्निशमन की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है. फायर एक्सटिंग्विशर(fire extinguisher) भी नियमों के अनुरूप नहीं है. हर 20 फीट पर एक आग बुझाने वाली टंकी (फायर एक्सटिंग्विशर) होनी चाहिए और इसके साथ ही वहां के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को आपात स्थिति में चलाने की जानकारी भी होनी चाहिए लेकिन नियम के अनुसार न तो फायर एक्सटिंग्विशर हैं और न ही अस्पताल में मौजूद कर्मियों को इसके इस्तेमाल की जानकारी.
पाइप से लेकर नोजल तक गायब...आग लगी तो सब कुछ राम भरोसे
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी जहां पुरानी बिल्डिंग में आज भी सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है वहीं नए बने सुपर स्पेश्लिटी विंग में भी आग बुझाने की पूरी व्यवस्था नहीं है. आग बुझाने वाले यंत्र के नोजल से लेकर पाइप तक चोर ले उड़े हैं. 5 साल में ही लोहे के पाइप में जंग लग गई है और कहीं-कहीं बॉक्स टूट गए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी?
रिम्स के अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप का कहना है कि जल्द ही अस्पताल में सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त कर लिया जाएगा. इसके बाद एक साथ सभी बिल्डिंग का एनओसी अग्निशमन निदेशालय से ले लिया जाएगा. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर सव्यसाची मंडल का कहना है कि अभी सदर अस्पताल में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है. फायर फाइटिंग की व्यवस्था बिल्डर को ही करके देना है. जैसे ही बिल्डर यह काम पूरा कर लेंगे तब एनओसी के लिए अप्लाई करेंगे.