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धनबाद भू-अर्जन में गड़बड़ी और भारतीय खनिज विद्यापीठ मामले में आरोपियों पर होगी प्राथमिकी

धनबाद भू-अर्जन घोटाले में शामिल आरोपी पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्राथमिकी दर्ज करने से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. साल 2013 में आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक ने 15 रैयतों के बीच 20 करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन, रैयतों को मुआवजा भुगतान करने के लिए सक्षम पदाधिकारी से दर निर्धारित नहीं कराई गई.

FIR will be filed against accused in Dhanbad land acquisition issue in ranchi
भू-अर्जन में गड़बड़ी करने वालों पर होगी कार्रवाई

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Published : Nov 8, 2020, 7:20 PM IST

रांची: धनबाद भू-अर्जन घोटाले में शामिल आरोपी पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्राथमिकी दर्ज करने से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. इसके तहत धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह मौजा में भू-अर्जन की प्रक्रिया में बरती गई अनियमितता मामले में आरोपी पदाधिकारियों और कर्मियों सहित भारतीय खनिज विद्यापीठ से संबंधित मामले में दो पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. दोनों मामलों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कर रही है.

किनके खिलाफ दर्ज होगी प्राथमिकी

धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह में भू-अर्जन प्रक्रिया में हुई अनियमितता मामले में तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी लाल मोहन नायक, तत्कालीन प्रभारी कानूनगो विजय कुमार सिंह, तत्कालीन अमीन श्यामपद मंडल, कार्यालय सहायक रामाशंकर प्रसाद, तत्कालीन नाजीर मो. जिलानी (सेवानिवृत्त), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राजकुमार प्रसाद (सेवानिवृत्त), तत्कालीन सहायक अभियंता अरुण कुमार सिंह, तत्कालीन कनीय अभियंता जगतानंद प्रसाद और अधिवक्ता रमेश कुमार प्रसाद सहित अन्य लाभार्थी शामिल हैं. वहीं, भारतीय खनिज विद्यापीठ से संबंधित मामले में तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी उदयकांत पाठक (सेवामुक्त) और तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी नारायण विज्ञान प्रभाकर (सेवानिवृत्त) पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

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क्या है पूरा मामला

झरिया पुनर्वास प्राधिकार के ओर से साल 2010 में बाघमारा थाना क्षेत्र के तिलाटांड में 59.4 एकड़ भूमि अर्जित करने का प्रस्ताव मिला था. इस प्रस्ताव के तहत भू-अर्जन के लिए अधिसूचना पर तत्कालीन उपायुक्त का अनुमोदन प्राप्त किया गया. साल 2013 में आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक ने पदाधिकारियों को 15 रैयतों के बीच 20 करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन, रैयतों को मुआवजा भुगतान करने के लिए सक्षम पदाधिकारी से दर निर्धारित नहीं कराई गई. इसके अलावा भू-अर्जन अधिनियम और झारखंड स्वैच्छिक भू-अर्जन नियमावली के अंतर्गत निर्धारित अवधि के अंदर प्रभावित रैयतों से सहमति पत्र प्राप्त कर उचित मुआवजा भुगतान करने करने के लिए दखल कब्जा प्राप्त करने संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया. इसके बाद रैयतों को भुगतान की कार्रवाई की गई और उसके पश्चात पंचाट की घोषणा नहीं होने से अभिलेख को व्ययगत घोषित कर दिया गया. इससे साफ है कि आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक के ओर से गलत मंशा से राशि भुगतान की गई. इसमें 11 रैयतों को जोड़ापोखर पैक्स के माध्यम से भूमि का बगैर दखल कब्जा प्राप्त किए राशि भुगतान कराई गई. धनसार में संबंधित रैयतों को भुगतान की गई राशि बिचौलियों के ओर से निकाल ली गई.

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