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चापाकल घोटाला: करीब 200 शिक्षक और इंजीनियर पर विभाग करेगा FIR, शिक्षा मंत्री ने दिए आदेश

डीईओ सह प्रभारी डीएसई बांके बिहारी सिंह को धनबाद में वर्ष 2014 में हुए चापाकल घोटाले के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. इसी मामले से जुड़े 144 शिक्षकों और इंजीनियर समेत 200 लोगों पर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी की है. यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है, शिक्षा मंत्री ने त्वरित कार्रवाई करने का आदेश भी जारी किया है.

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शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो

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Published : May 11, 2020, 8:47 PM IST

रांची:धनबाद में वर्ष 2014 में हुए चापाकल घोटाले के आरोप में डीईओ सह प्रभारी डीएसई बांके बिहारी सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इस मामले में कई नए खुलासे हो रहे हैं. इसी मामले से जुड़े 144 शिक्षकों और इंजीनियर समेत 200 लोगों पर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी की है. यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है, शिक्षा मंत्री ने त्वरित कार्रवाई करने का आदेश भी जारी किया है.

दरअसल, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक प्रस्ताव इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो को भेजा था. प्रस्ताव में विभाग ने चापाकल घोटाला मामले में 144 शिक्षकों और इंजीनियर समेत 200 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही गई थी. इस मामले पर शिक्षा मंत्री ने हरी झंडी दे दी है.

शिक्षा मंत्री के हरी झंडी मिलते ही पूरे मामले को लेकर एक आदेश जारी किया गया है. आदेश के तहत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 15 मई तक धनबाद जिला कार्यक्रम समन्वयक और जेपीसी दोषियों को चिन्हित कर एफआईआरदर्ज करने की बात कही गई है.

जानकारी के मुताबिक, दोषी इंजीनियरों को झारखंड शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक चिन्हित करेंगे. जबकि दोषी शिक्षकों को गलत वाउचर बनाने वाले और आपूर्तिकर्ताओं की पहचान धनबाद के जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी करेंगे.

शिक्षा विभाग ने धनबाद के डीसी को इन शिक्षकों के खिलाफ 30 मई तक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक को इस काम का मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी मिली है. दूसरी ओर इंजीनियरों के खिलाफ जेपीसी को 30 मई तक कार्रवाई करने का निर्देश विभाग ने दिया है.

गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में धनबाद के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में चापाकल लगवाने में काफी गड़बड़ियां की गई थी. सरकारी राशि की गबन की गई थी. चापाकल लगवाने को लेकर काफी अनियमितता भी बर्ती गई थी. प्रत्येक स्कूल में 5,500 रुपए से लेकर 24,000 रुपये तक का अधिक का भुगतान किया गया था और इतने साल बीत जाने के बाद अब इस मामले में कई खुलासे हो रहे हैं.

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