रांची: सेवा नियमितीकरण की एक सूत्री मांग को लेकर एनएचएम की अनुबंधित नर्सें और पारा मेडिकल कर्मी 24 जनवरी से आमरण अनशन पर हैं. इनकी राज्यव्यापी हड़ताल के भी 28 दिन हो चुके हैं. कई अनशनकारियों की तबीयत बिगड़ चुकी है. बावजूद इसके अभी तक सरकार या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में 14 फरवरी को आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने मशाल जुलूस निकालने और 15 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री के आवास का घेराव करने का निर्णय लिया है. इस दौरान राजभवन के समक्ष 21 अनशनकारियों का अनशन भी जारी रहेगा.
Fast Unto Death Of Contract Nurses: रांची में अनुबंधित स्वास्थ्य कर्मियों का अनशन जारी, अब मशाल जुलूस और मंत्री के आवास का घेराव का निर्णय
रांची के राजभवन के समक्ष 21वें दिन भी अनुबंध पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों का आमरण अनशन जारी रहा. इस दौरान आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि हमारे साथी एक-एक कर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और सरकार कुंभकर्णी निंद्रा में सोयी है. सरकार को जगाने के लिए आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने मशाल जुलूस निकालने और मंत्री के आवास का घेराव करने का निर्णय लिया है.
सरकार को जगाने के लिए निकालेंगे मशाल जुलूसःसोमवार को झारखंड राज्य एनएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ और झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ के संयुक्त तत्वावधान में आंदोलन का 28वां दिन है. आमरण अनशन का भी सोमवार को 21वां दिन है. इस दौरान आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि सरकार के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही है. चुनाव से पहले अनुबंध शब्द समाप्त करने की बात करने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार अब कुम्भकर्णी निंद्रा में हैं. संवेदनहीन हो चुके मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को जगाने के लिए अब मशाल जुलूस और घेराव का निर्णय लिया गया है.
कोरोना योद्धाओं को मरने के लिए छोड़ दिया: आंदोलित अनुबंधित नर्सों ने कहा कि अनुबंधित चिकित्सा कर्मी कोरोना काल में कोरोना योद्धा थे. झारखंड सरकार ने सम्मानित किया था और उनपर पुष्प वर्षा की गई थी. आज जब हम अपना हक मांगने लगे तो इतने बुरे हो गए. कोरोना योद्धा एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट ,एक्स-रे टेक्नीशियन, नेत्र सहायक, फिजियोथेरेपिस्ट आदि की वाजिब मांगों पर सरकार मौन हैं. आज अपनी नियमितीकरण के लिए महीनों से राज्य की सड़कों पर आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं. क्या कोरोना योद्धा इतने बुरे हैं कि सरकार संवाद भी नहीं करना चाह रही है. आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि अब सोशल मीडिया साइट जैसे ट्विटर अकाउंट और फेसबुक के माध्यम से अपनी मांगों को और सरकार की वादाखिलाफी को झारखंड के हर एक घर तक ले जाएंगे. राज्य की जनता को बताएंगे कि न ही सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों की चिंता है और न ही राज्य की बीमार जनता की.
18 अनशनकारी हो चुके हैं अस्पताल में भर्ती: 24 फरवरी से राजभवन के पास 21 स्वास्थ्यकर्मी आमरण अनशन पर बैठे हैं. इनमें से एक-एक कर 21 में से 18 अनशनकारी अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं. जबकि एक का इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा है. रांची सदर अस्पताल में भर्ती अनशनकारी थोड़ा ठीक होने पर बिना बताए फिर अनशन स्थल पर पहुंच जाते हैं, ताकि आंदोलन जारी रहे.